कोलकाता : डॉ. अमित मित्रा ने बजट पर उठाए सवाल, सामान्य जनता के लिए बताया विनाशकारी

कोलकाता, 1 फरवरी . पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री और वित्त विभाग के प्रधान मुख्य सलाहकार डॉ. अमित मित्रा ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश आम बजट को आम जनता के लिए विनाशकारी कदम करार दिया है. उन्होंने कहा कि इस बजट में सामान्य लोगों के लिए कोई भी राहत नहीं दी गई है और कई विशेषज्ञों द्वारा एक गहरी साजिश की ओर संकेत किया गया है.

डॉ. मित्रा ने कहा कि इस बजट ने सामान्य लोगों के लिए सब कुछ काट दिया है. सामाजिक सेवाओं में 16 प्रतिशत की कटौती की गई है. आवास क्षेत्र में 4.38 प्रतिशत की कटौती की गई है. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण में 3 प्रतिशत से अधिक की कटौती की गई है. सबसे महत्वपूर्ण बात, खाद्य सब्सिडी में 1 प्रतिशत की कटौती की गई है. यदि सरकार इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कटौती कर रही है, तो युवाओं, महिलाओं और किसानों के लिए बजट में क्या योजना है?

बेरोजगारी की स्थिति पर चिंता जताते हुए डॉ. मित्रा ने कहा कि आज बेरोजगारी दर 46 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है और इनमें से 30 प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जो स्नातक डिग्री धारक हैं. अक्टूबर और दिसंबर के बीच करीब 37 मिलियन लोग बेरोजगार थे. उन्होंने सवाल किया कि इस बजट में बेरोजगारी के मुद्दे पर कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाए गए.

डॉ. मित्रा ने बीमा क्षेत्र में 100 प्रतिशत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) की अनुमति देने के फैसले को भी आलोचना की. उन्होंने कहा कि जब विदेशी निवेशक 100 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ हमारे बीमा क्षेत्र में प्रवेश करेंगे, तो इससे एलआईसी और अन्य सरकारी बीमा कंपनियों के लिए खतरा बढ़ेगा. इसके अलावा, सरकार ने बीमा पर जीएसटी को 18 प्रतिशत से घटाकर शून्य करने की हमारी मांग को खारिज कर दिया. यह निर्णय आम जनता के खिलाफ है. उन्होंने सवाल किया कि क्या इस फैसले के पीछे कोई साजिश है, जिसमें विदेशी निवेशकों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकारी नीतियां बनाई जा रही हैं, जबकि आम जनता को नुकसान हो रहा है.

डॉ. मित्रा ने बजट में उद्योग और उत्पादन क्षेत्र को लेकर भी निराशा जताई. उन्होंने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र केवल 15 प्रतिशत जीडीपी में योगदान करता है, जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने इसे 25 प्रतिशत तक पहुंचाने का वादा किया था. लेकिन बजट में इस क्षेत्र के लिए कोई विशेष उपाय नहीं किए गए. बजट में विकास दर को कम कर दिया गया है, जिससे यह साफ है कि सरकार के आर्थिक अनुमान सकारात्मक नहीं हैं.

उन्होंने कहा कि महंगाई लगातार बढ़ रही है और सरकार ने इस पर काबू पाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं. बजट में केंद्रीय सरकार के कर्ज को नियंत्रित करने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किया गया है. केंद्र सरकार 4.4 प्रतिशत के वित्तीय घाटे को बनाए रखने के लिए 15 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लेगी, जिससे देश का कर्ज और बढ़ेगा.

उन्होंने आगे कहा कि बजट में नौकरी, महिला सशक्तिकरण, किसानों के लिए कुछ ठोस नहीं है. विदेशी निवेशकों के लिए 100 प्रतिशत हिस्सेदारी की अनुमति देने के बावजूद आम जनता के लिए बीमा पर जीएसटी में कोई राहत नहीं दी गई. यह बजट आम जनता के लिए निराशाजनक है. उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि क्या यह बजट किसी अंतरराष्ट्रीय लॉबी के दबाव में आकर तैयार किया गया है, जिसमें आम भारतीयों की भलाई को नजरअंदाज किया गया है.

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