आर्थिक सर्वेक्षण में देश को वैश्विक ज्ञान की महाशक्ति बनाने पर जोर

नई दिल्ली, 31 जनवरी . आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में शिक्षा को देश की प्रगति के आठ प्रमुख स्तंभों में से एक बताते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप ‘भारत को वैश्विक ज्ञान की महाशक्ति’ बनाने पर जोर दिया गया है.

आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि देश की उच्च शिक्षा प्रणाली इस क्षेत्र में दुनिया की बड़ी प्रणालियों में से एक है. इसमें वर्ष 2021-22 में 4.33 करोड़ विद्यार्थी नामांकित थे, जो वर्ष 2014-15 में नामांकित 3.42 करोड़ विद्यार्थियों की तुलना में 26.5 प्रतिशत अधिक है. इसी अवधि (वर्ष 2014-15 से वर्ष 2021-22) के दौरान 18-23 आयु वर्ग के छात्रों का नामांकन भी 23.7 प्रतिशत से बढ़कर 28.4 प्रतिशत हो गया.

आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि उच्‍चतर शिक्षा में वर्ष 2035 तक नामांकन को 50 प्रतिशत तक बढ़ाने के सरकार के लक्ष्य को हासिल करने के लिए शैक्षिक नेटवर्क और अवसंरचना को दोगुना करने की आवश्यकता है.

इसमें इस बात पर जोर दिया गया है कि पिछले कुछ वर्षों में उच्‍चतर शिक्षा संबंधी इकोसिस्टम में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ है. समीक्षा में कहा गया है कि उच्‍चतर शिक्षा संस्‍थानों (एचईआई) की संख्या 2014-15 के 51,534 से 13.8 प्रतिशत बढ़कर वर्ष 2022-23 में 58,643 हो गई.

सर्वेक्षण के अनुसार, वर्ष 2040 तक उच्‍चतर शिक्षा संस्थान (एचईआई) बहु-विषयक संस्थान बन जाएंगे. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए वंचित और गरीब विद्यार्थियों के लिए विश्वविद्यालयों द्वारा छात्रवृत्तियां, ऑनलाइन शिक्षा, ओपन डिस्टेंस लर्निंग और दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए सुलभ तथा उपलब्ध सभी प्रकार की अवसंरचनात्मक और शिक्षण सामग्री आदि शामिल हैं.

कौशल के महत्व पर जोर देते हुए कहा गया है कि देशभर के विभिन्न विद्यालयों में उद्योग 4.0 के आगमन के साथ कौशल शिक्षा का महत्व काफी बढ़ गया है. यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), बिग डेटा और रोबोटिक्‍स द्वारा परिभाषित एक अत्यंत गतिशील एवं कौशल गहन युग है.

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा शुक्रवार को संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, डिजिटल साक्षरता यह सुनिश्चित करती है कि विद्यार्थी डिजिटल जानकारी जैसे कौशलों में महारत हासिल करके प्रतिस्पर्धी बने रहें. तकनीकी परिवर्तन की तीव्र गति के लिए नये डिजिटल रुझानों और शिक्षण पद्धतियों से शिक्षकों के अवगत रहने की आवश्यकता है. शिक्षकों की क्षमताओं को बढ़ाने और उन्हें 21वीं सदी की मांगों के अनुरूप तैयार करने के क्रम में सरकार ने एक अत्याधुनिक डिजिटल प्लेटफॉर्म ‘टीचर्सऐप’ शुरू किया है.

इसमें कहा गया है कि शिक्षा प्रणालियों में सुधार लाने के लिए प्रौद्योगिकी का एकीकरण तीन प्रमुख क्षेत्रों पर केन्द्रित हो सकता है. शिक्षक विकास और छात्र शिक्षण के लिए एआई का उपयोग करना, उद्योगों के अनुकूल कौशल और प्रमाणन को एकीकृत करना तथा व्यक्ति के अनुकूल लर्निंग सॉफ्टवेयर बनाना.

आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में कहा गया है कि कौशल, शोध, नवाचार संबंधी इकोसिस्टम, सरकार-शैक्षणिक साझेदारियां और संकाय विकास में निवेश महत्‍वपूर्ण हैं.

इसमें बताया गया है कि समग्र शिक्षा के तहत दिव्‍यांग बच्‍चों की सहायता करने के लिए सहायता उपकरण, सहायक यंत्र, भत्ते, ब्रेल व अन्य सामग्री प्रदान करने के लिए समर्पित धनराशि आवंटित की गई है. अवसंरचना में सुधार के अंतर्गत 11.35 लाख विद्यालयों में रैम्प, 7.7 लाख विद्यालयों में हेंडरेल्स और 5.1 लाख विद्यालयों में सुलभ शौचालय बनाया जाना शामिल हैं.

सर्वेक्षण में एनईपी 2020 को कारगर रूप से लागू करने के लिए राज्‍यों, केन्‍द्र शासित प्रदेशों, उच्‍च शिक्षण संस्‍थानों और नियामक निकायों के बीच सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया गया है.

जीसीबी/एकेजे