नई दिल्ली, 31 जनवरी . भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और संसद इसकी सबसे ऊंची संस्था है. लेकिन कई बार विपक्ष ने इसकी गरिमा और महत्त्व को नजरअंदाज किया है. 2025 के बजट सत्र से पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह पिछले 10 सालों में शायद पहला सत्र होगा जिसके एक-दो दिन पहले कोई विदेशी चिंगारी नहीं पटकी है. विदेश के किसी कोने से आग लगाने की कोशिश नहीं हुई है.
यहां उन संसद सत्रों की सूची दी गई है जो अनावश्यक विरोध और बाधाओं के कारण प्रभावित हुए.
शीतकालीन सत्र 2014 में लोकसभा ने सामान्य रूप से काम किया, लेकिन राज्यसभा में धार्मिक परिवर्तन और सीबीआई द्वारा एक राज्य मंत्री की गिरफ्तारी को लेकर हंगामा हुआ. विपक्ष ने सात दिनों तक कार्यवाही रोकी. उनकी मांग थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काले धन को वापस लाने और धर्मांतरण विवाद पर बयान दें.
राज्यसभा ने अपने समय से एक घंटा ज्यादा काम किया, लेकिन फिर भी केवल 59% समय ही कार्य हुआ. लोकसभा ने 98% समय तक काम किया.
बजट सत्र 2015 में किसान आत्महत्या, फूड पार्क और नवीकरणीय ऊर्जा वित्त पर सीएजी रिपोर्ट जैसे मुद्दों पर दोनों सदनों में बाधाएं आईं.
मानसून सत्र 2015 में राज्यसभा की प्रोडक्टिविटी केवल 9% रही, जो पिछले 15 वर्षों में दूसरी सबसे कम थी. ललित मोदी और व्यापम घोटालों को लेकर दोनों सदनों में हंगामा हुआ. लोकसभा में कांग्रेस के 44 में से 25 सांसदों को निलंबित कर दिया गया. इसके विरोध में विपक्ष ने कार्यवाही का बहिष्कार किया.
शीतकालीन सत्र 2015 में नेशनल हेराल्ड केस में गांधी परिवार को बचाने के लिए कांग्रेस ने राज्यसभा के कामकाज ठप कर दिया था.
बजट सत्र 2016 में रोहित वेमुला आत्महत्या मामले में विपक्ष ने राज्यसभा की कार्यवाही बाधित की. जेएनयू विवाद पर भी तीखी बहस हुई.
शीतकालीन सत्र 2016 15 वर्षों में सबसे कम प्रोडक्टिव सत्रों में से एक था. नोटबंदी को लेकर 92 घंटे तक हंगामा हुआ, जिससे करदाताओं को 144 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
शीतकालीन सत्र 2017 में तीन तलाक बिल, गुजरात चुनाव अभियान और भीमा-कोरेगांव हिंसा को लेकर कार्यवाही प्रभावित हुई.
मानसून सत्र 2017 में गोरक्षा, किसान संकट और गुजरात में राहुल गांधी पर भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए कथित हमले जैसे मुद्दों पर गर्मा-गर्म बहस हुई. छह कांग्रेस सांसदों को अध्यक्ष पर कागज फेंकने के कारण निलंबित किया गया.
बजट मानसून सत्र 2017 में गोवा और मणिपुर में भाजपा सरकार बनाने के विरोध में नारेबाजी हुई. लोकसभा की प्रोडक्टिविटी 110% और राज्यसभा की 87% रही.
शीतकालीन सत्र 2018 में 17 में से 14 दिनों तक लोकसभा समय से पहले स्थगित कर दी गई. राज्यसभा 18 में से 16 दिन बाधित रही. राफेल डील पर जेपीसी की मांग और कावेरी नदी पर बांध निर्माण को लेकर विरोध हुआ. लोकसभा की प्रोडक्टिविटी 46% और राज्यसभा की 26% रही.
मानसून सत्र 2018 में कांग्रेस और तृणमूल सांसदों ने एनआरसी पर विरोध किया. आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देने की मांग पर सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया, जो 12 घंटे की चर्चा के बाद गिर गया. इस सत्र में राहुल गांधी की ‘गले मिलने और आंख मारने’ की घटना चर्चा का विषय बनी. लोकसभा की प्रोडक्टिविटी 86% और राज्यसभा की 67% रही.
बजट सत्र 2018 में कांग्रेस, एआईएडीएमके और टीडीपी के सांसदों ने आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा, कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड और एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर प्रदर्शन किया. पंजाब नेशनल बैंक घोटाले पर कांग्रेस ने “छोटा मोदी कहां गया?” लिखे प्लेकार्ड लहराए. यह 2000 के बाद सबसे कम उत्पादक बजट सत्र रहा. लोकसभा केवल 21% और राज्यसभा 27% समय तक ही चली.
शीतकालीन सत्र 2019 में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के ‘रेप इन इंडिया’ वाले बयान और नागरिकता संशोधन कानून को लेकर पूर्वोत्तर में विरोध प्रदर्शन पर संसद में जोरदार हंगामा हुआ. लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को ‘घुसपैठिया’ कहकर विवाद खड़ा कर दिया. लोकसभा की प्रोडक्टिविटी लगभग 116% और राज्यसभा की 100% रही.
बजट सत्र 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाने और तीन तलाक को खत्म करने का कानून पास हुआ. लोकसभा की प्रोडक्टिविटी 135% और राज्यसभा की 100% रही.
इसके बाद कोविड-19 महामारी का प्रभाव संसद के सत्रों पर देखने के लिए मिला. शीतकालीन सत्र 2020 रद्द कर दिया गया. मानसून सत्र 2020 केवल 10 दिनों तक चला. हंगामे के कारण लोकसभा का 3.51 घंटे और राज्यसभा का काफी समय बर्बाद हुआ. बजट सत्र 2020 को भी कोविड-19 के कारण 3 अप्रैल से पहले ही समाप्त कर दिया गया.
शीतकालीन सत्र 2021 में सरकार ने कृषि कानूनों को बिना किसी चर्चा के वापस ले लिया. 12 राज्यसभा सांसदों को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया. लोकसभा ने 77% और राज्यसभा ने 43% तय समय में काम किया.
मानसून सत्र 2021 में विपक्ष ने पेगासस जासूसी विवाद, कृषि कानूनों और महंगाई के मुद्दों पर जोरदार विरोध किया. लोकसभा ने केवल 21% और राज्यसभा ने 29% समय ही काम किया.
बजट सत्र 2021 में विपक्ष ने राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार किया. किसानों के आंदोलन और पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों पर संसद में भारी हंगामा हुआ. लोकसभा की प्रोडक्टिविटी 107% और राज्यसभा की 89% रही.
शीतकालीन सत्र 2022 अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारत और चीन सैनिकों के बीच झड़प पर विपक्ष के विरोध के बीच अपने निर्धारित समय से एक सप्ताह पहले समाप्त हुआ. लोकसभा की कार्यवाही के 68.9 घंटों में से 2.42 घंटे रुकावटों के कारण बर्बाद हुए. लोकसभा की प्रोडक्टिविटी 88% और राज्यसभा की 94% रही.
मानसून सत्र 2022 तय समय से 4 दिन पहले समाप्त हुआ. हंगामे के कारण संसद का आधे से भी कम समय उपयोग हुआ. विपक्ष ने महंगाई, सांसदों के निलंबन और सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग के मुद्दे उठाए. लोकसभा की प्रोडक्टिविटी 47% और राज्यसभा की 42% रही, जो 2014 के बाद सबसे कम थी.
बजट सत्र 2022 भी दिन पहले ही खत्म हो गया.
शीतकालीन सत्र 2023 में संसद में सुरक्षा चूक की घटना हुई. विपक्ष ने सिर्फ गृह मंत्री से जवाब की मांग की और विरोध किया. विरोध करते हुए तख्तियां लहराने और नारेबाजी करने के कारण विपक्षी सांसद निलंबित कर दिए गए. इसके बाद निलंबन के विरोध में भी प्रदर्शन हुआ.
24 जनवरी को हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक भारतीय औद्योगिक समूह पर रिपोर्ट जारी की. यह रिपोर्ट बजट सत्र 2023 से ठीक पहले आई थी. सुप्रीम कोर्ट ने इसे अविश्वसनीय बताया और कहा कि इसका मकसद बाजार को प्रभावित करना था.
मानसून सत्र 2023 में विपक्ष ने मणिपुर हिंसा को लेकर अविश्वास प्रस्ताव लाया. संसद सत्र से ठीक पहले मणिपुरी महिलाओं के उत्पीड़न का वीडियो वायरल हुआ.
बजट सत्र 2023 में विपक्ष ने एक औद्योगिक समूह के खिलाफ जांच की मांग करते हुए संसद के बाहर प्रदर्शन किया. राहुल गांधी की विदेश में भारतीय लोकतंत्र पर टिप्पणी के कारण सत्र बाधित रहा. गुजरात दंगों पर बनी बीबीसी डॉक्यूमेंट्री, जिसे सुप्रीम कोर्ट पहले ही खारिज कर चुका था, संसद सत्र से ठीक पहले रिलीज की गई थी.
बजट सत्र 2024 में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत विपक्षी सांसदों ने केंद्र सरकार पर बजट में विपक्षी राज्यों से भेदभाव का आरोप लगाते हुए संसद में विरोध किया.
अंतरिम बजट सत्र 2024 में विपक्ष ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के विरोध में लोकसभा से वाकआउट किया.
कांग्रेस और उसके सहयोगी दल पिछले कुछ वर्षों से संसद की कार्यवाही रोकने के लिए नारेबाजी, प्रदर्शन और वॉकआउट कर रहे हैं. विपक्ष सरकार पर चर्चा न करने का आरोप लगाता है.
पीआरएस डाटा बताता है कि 1950 और 1960 के दशक की तुलना में अब संसद की बैठकें आधी हो गई हैं. पिछले 8 सत्रों से संसद तय समय से पहले स्थगित हो रही है, जिससे राजनीतिक अपरिपक्वता और लोकतंत्र के प्रति असम्मान झलकता है.
ध्यान देने की बात है कि संसद की प्रत्येक मिनट की कार्यवाही पर 2.5 लाख रुपये खर्च होते हैं. इसलिए संसद में लगातार होने वाले अवरोध देश के लिए बहुत कीमती समय और संसाधनों की बर्बादी कर रहे हैं. इस समय का इस्तेमाल महत्वपूर्ण कानूनों को बनाने और देश के लिए जरूरी मुद्दों पर चर्चा करने में किया जा सकता था.
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एएस/