गुजरात में शुरू हुआ अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक रिसर्च कॉन्फ्रेंस

अहमदाबाद, 27 जनवरी . देश में 2036 के ओलंपिक की मेज़बानी की दावेदारी के बाद अब गुजरात की रक्षा शक्ति यूनिवर्सिटी में आज से अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक रिसर्च कॉन्फ्रेंस शुरू हो गई है. यह चार दिन तक चलेगी.

केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने 2036 के ओलंपिक का जिक्र किया था और इसके लिए एक लेटर ऑफ इंटेंट भी दिया गया है.

उन्होंने कहा कि अब देश में इसके इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम चल रहा है. पीएम मोदी ने यह लक्ष्य रखा है कि 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना है.

उन्होंने यह भी कहा कि खेलों के जरिए ही देश तरक्की करेगा. 2036 तक भारत को मेडल टैली में टॉप 10 देशों में शामिल होना है और 2047 तक यह टॉप 5 देशों में जगह बना सके, यह लक्ष्य है.

उन्होंने कहा कि हम लोगों ने ओलंपिक पर रिसर्च करने का फैसला किया है. इस पर चार दिन तक चर्चा की जाएगी. इस संबंध में 60 से अधिक रिसर्च पेपर जारी किए जाएंगे, जिसमें इस बारे में विस्तृत जानकारी होगी. देश में इस तरह का कॉन्फ्रेंस होना जरूरी है.

उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि इस कॉन्फ्रेंस से जो नतीजे निकलकर सामने आएंगे, उससे देश को खेल जगत में बड़ा फायदा होगा. इससे हम आने वाले दिनों में मेडल भी ज्यादा से ज्यादा जीतेंगे.

बता दें कि इससे पहले 22 जनवरी को मनसुख मांडविया ने भारतीय पुरुष और महिला खो-खो टीमों को सम्मानित किया था.

मेजबान भारत ने 19 जनवरी को इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में पुरुष और महिला दोनों श्रेणियों में पहला खिताब जीतकर टूर्नामेंट में दोहरी खुशी मनाई थी. दोनों टीमों ने अपने-अपने फाइनल में नेपाल को हराया था.

पुरुष और महिला खो-खो टीमों की पूरी टीम के साथ-साथ कोच, भारतीय खो-खो महासंघ (केकेएफआई) के अध्यक्ष सुधांशु मित्तल और केंद्रीय खेल मंत्रालय और भारतीय खेल प्राधिकरण के अन्य अधिकारी इस अवसर पर मौजूद थे.

मांडविया ने एक्स पर पोस्ट भी किया था. इस पोस्ट में उन्होंने कहा था “मैं भारतीय पुरुष और महिला टीमों से मिला, जिन्होंने पहला खो-खो विश्व कप जीतकर इतिहास रच दिया. भारत के पारंपरिक खेल को विश्व स्तर पर गौरव दिलाने के लिए दोनों टीमों को बधाई और उनके भविष्य के लिए शुभकामनाएं. पूरे देश को आप सभी पर गर्व है.”

देश में पारंपरिक खेलों के पुनरुत्थान के बारे में बात करते हुए मांडविया ने कहा था, “पारंपरिक खेल लचीलापन, सामुदायिक भावना और सबसे महत्वपूर्ण बात, हमारे पारंपरिक खेल मूल्य को बनाए रखते हैं. दुनिया को इन पारंपरिक खेलों की समृद्धि से बहुत कुछ सीखना है.”

उन्होंने कहा था, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विभिन्न राष्ट्रीय मंचों पर कहा है कि हमें पारंपरिक खेलों को सर्वश्रेष्ठ अवसर प्रदान करना है. अब हमारी टीमें न केवल सर्वश्रेष्ठ अवसर प्राप्त कर रही हैं, बल्कि शानदार प्रदर्शन भी कर रही हैं. मैं अपने खिलाड़ियों की भावना और दोनों टीमों के पारंपरिक कौशल की सराहना करता हूं.”

एसएचके/जीकेटी