मुंबई, 25 जनवरी . मुंबई 26/11 हमले के दोषी तहव्वुर राणा को भारत लाया जाएगा. अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने राणा के प्रत्यर्पण के लिए मंजूरी दे दी है. उस हमले की पीड़िता देविका रोटवान ने शनिवार को समाचार एजेंसी से बात की.
देविका रोटवान ने कहा कि तहव्वुर राणा को भारत लाया जाएगा, इससे मुझे बहुत खुशी हुई है. मैं चाहती हूं कि उसे जल्द से जल्द भारत लाया जाए जिससे हमें बहुत सी बातें पता चलेंगी. 26/11 के दौरान उनकी क्या योजना थी. ये सब कैसे हुआ और उनका असली मकसद क्या था, हमें ये सारी बातें पता चलेंगी. इसलिए मैं चाहती हूं कि उसे जल्द से जल्द भारत लाया जाए और सजा दी जाए. कसाब तो महज एक मोहरा था, बड़े-बड़े आतंकवादी तो अभी जिंदा हैं.
उन्होंने कहा कि 26/11 में मारे गए लोगों को इंसाफ तभी मिलेगा जब इन आतंकवादियों को सजा मिलेगी. सरकार अच्छा काम कर रही है कि तहव्वुर राणा को भारत ला रही है. सरकार से मेरी मांग है कि तहव्वुर राणा को जल्द से जल्द भारत लाया जाए और सजा दी जाए जिससे आतंकवादियों में एक संदेश जाए और वह हमला करने से पहले वह 10 बार सोचें.
उन्होंने 26/11 की रात का जिक्र करते हुए कहा कि उस रात को भूल नहीं सकती हूं. मैरे पैर पर आज भी गोली का निशान है. वह दर्द है, जो मुझे उस दौरान मिला था. सिर्फ मैंने नहीं मेरे पूरे परिवार ने वह दर्द सहा है. मैं अपने पिता के साथ पुणे अपने भाई को मिलने के लिए जा रही थी. 12 नंबर प्लेटफॉर्म के सामने थी, जब मुझे गोली लगी थी. अचानक बम का धमाका हुआ, गोलीबारी होने लगी. लोग जान बचाने के लिए भाग रहे थे. मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है.
उस वक्त मेरी उम्र करीब 10 वर्ष थी. मुझे जेजे अस्पताल ले जाया गया. वहां मेरे पैर से गोली निकाली गई. छह ऑपरेशन किए गए. करीब डेढ़ माह में अस्पताल में रही. उन्होंने कहा कि जब भी इस मामले में सरकार को मेरी जरूरत होगी मैं जरुर जाऊंगी. आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने से मैं कभी पीछे नहीं हटूंगी. 16 साल में हमारा जीवन कई उतार-चढ़ाव भरा रहा है. हालांकि, मैं आगे ऑफिसर बन कर देश की सेवा करना चाहती हूं. सरकार ने कुछ वादे किए थे, जिसे पूरा किया गया. लेकिन, उसके लिए भी मुझे संघर्ष करना पड़ा है.
26 नवंबर 2008 को मुंबई आतंकवादियों की गोलियों की तड़तड़ाहट से कांप उठी थी. आतंकी हमलों में छह अमेरिकी नागरिकों समेत 166 लोग मारे गए थे, जबकि बड़ी संख्या में लोग घायल हुए थे.
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डीकेएम/