गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर सीएम आतिशी ने कहा, ‘‘आप’’ की सरकार ने दिल्लीवालों को पहुंचाई बड़ी राहत

नई दिल्ली, 25 जनवरी . दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में शनिवार को दिल्ली सरकार ने धूमधाम के साथ गणतंत्र दिवस मनाया. कार्यक्रम की मुख्य अतिथि दिल्ली की सीएम आतिशी ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रीय ध्वज फहराकर कर दिल्ली समेत पूरे देश को बधाई दी. इस मौके पर उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य समेत अन्य सेवाएं मुफ्त देकर दिल्ली की जनता को बड़ी राहत पहुंचाई है.

दिल्ली सरकार अपने बजट का 25 फीसद हिस्सा बच्चों को अच्छी शिक्षा देने पर खर्च करती है. पूरे देश में सिर्फ में 24 घंटे बिजली मिलती है. पिछले साल भीषण गर्मी के दिनों में भी पावर कट नहीं लगे. आज दिल्ली में रोजाना 11 लाख महिलाएं मुफ्त यात्रा का लाभ उठा रही हैं, इससे उनकी अर्थव्यवस्था में भागीदारी बढ़ी है. पिछले 10 सालों में हमने 38 फ्लाइओवर बनाने के साथ सड़कों, मेट्रो और बसों का भी तेजी से विकास किया है. आज हम सभी दिल्ली में हर महिला को सशक्त बनाने, सबको अच्छी शिक्षा-स्वास्थ्य सुविधाएं और रोजगार देने का प्रण लेते हैं.

आतिशी ने कहा कि आज स्वतंत्रता सेनानियों को याद करने का दिन है, जिन्होंने देश की आज़ादी के लिए अपनी जान दी. बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर ने भारत की आज़ादी के बाद हमारे देश को संविधान दिया. आज उन महान लोगों को याद करने का दिन है, जिन्होंने एक आज़ाद भारत का सपना देखा और उस सपने के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी. जब भारत पर अंग्रेजों का राज था, तब भारत बहुत अलग हुआ करता था. भारत के लोगों के पास अधिकार नहीं थे. भारत के लोगों के पास अपने प्रतिनिधि चुनने का अधिकार नहीं था और हमारे पास अपनी बात रखने का भी अधिकार नहीं था. सबसे बड़ी बात यह थी कि भारत के संसाधनों पर भी हमारा अधिकार नहीं था.

सीएम आतिशी ने कहा कि हज़ारों सालों से कहा जाता था कि भारत सोने की चिड़िया है. भारत जैसी मिट्टी, पानी, जंगल और पहाड़ वाला देश पूरी दुनिया में कहीं और नहीं था. लेकिन जब अंग्रेजों का राज था, तो इन संसाधनों का उपयोग भारत के लोगों के लिए नहीं किया जाता था. अंग्रेज हमारे देश से ये संसाधन बाहर लेकर जाते थे. देश के बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं मिलती थी, लोगों को अच्छा इलाज और रोज़गार नहीं मिलता था, क्योंकि भारतवासियों की सरकार भारत के लोग नहीं चुनते थे. हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी. भारत के घरों से 18-20 साल के नौजवान आज़ादी की लड़ाई लड़ने के लिए निकले. वह कितना मुश्किल दौर रहा होगा. सामने अंग्रेजों का वह साम्राज्य था, जिसके बारे में कहा जाता था कि इस साम्राज्य में कभी सूर्य अस्त नहीं होता. दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने तक अंग्रेजों का साम्राज्य फैला हुआ था. लेकिन फिर भी हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानियों का जोश और जुनून था, जिसके बल पर उन्होंने आज़ादी की लड़ाई लड़ी. आज भी उन वीर जवानों के बारे में सोचकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं.

सीएम आतिशी ने कहा कि भगत सिंह केवल 23 साल के थे, जब उन्होंने देश की आज़ादी के लिए हंसते-हंसते अपनी जान कुर्बान कर दी और फांसी पर चढ़ गए. भगत सिंह ने कभी अपने बारे में नहीं सोचा. उन्होंने सिर्फ भारत देश के बारे में सोचा. ऐसे ही हजारों युवाओं ने अपने और अपने परिवार के भविष्य के बारे में नहीं सोचा. उन्होंने सिर्फ देश के बारे में सोचा. जब महात्मा गांधी अहिंसा के मार्ग पर चले, तो उन्होंने यह नहीं सोचा कि उनके शरीर का क्या होगा. उन्होंने देश के बारे में सोचा. जब लाला लाजपत राय साइमन कमीशन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने गए, तब उन्होंने अपने बारे में नहीं, बल्कि देश के बारे में सोचा. जब चंद्रशेखर आज़ाद ने 25 साल की उम्र में अंग्रेजों से लड़ते हुए बंदूक की गोली से अपनी जान गंवा दी, तब भी उन्होंने सिर्फ देश और आने वाली पीढ़ियों की आज़ादी के बारे में सोचा.

ये तो सिर्फ वे स्वतंत्रता सेनानी हैं, जिनके नाम आप और हम जानते हैं. इनके बारे में किताबों में लिखा जाता है. लेकिन हजारों लाखों युवा, महिलाएं, पुरुष और बुजुर्ग अपने घरों से बाहर निकले और अपनी जिंदगी की कुर्बानी दी, ताकि आने वाले समय में भारत के हर नागरिक को बराबरी का अधिकार मिल सके. भारत के हर व्यक्ति को अपनी सरकार चुनने का अधिकार होना चाहिए, और भारत के संसाधनों का उपयोग भारत के बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों के लिए होना चाहिए. हमारे लिए उन लाखों लोगों ने कुर्बानियां दीं.

सीएम आतिशी ने कहा कि भारत की आज़ादी के बाद बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व में संविधान सभा में भारत का संविधान लिखा गया. उन्होंने इस सपने के साथ संविधान लिखा कि हम ऐसा देश बनाएंगे, जहां हर व्यक्ति को बराबरी का अधिकार होगा. हम एक ऐसा देश बनाएंगे, जहां कोई भेदभाव नहीं होगा, जहां हर व्यक्ति को लोकतंत्र में समान अधिकार मिलेंगे, और जहां कोई बड़ा-छोटा, अमीर-गरीब नहीं होगा. बाबा साहेब अंबेडकर और उन लोगों ने यह सपना देखा, जिन्होंने हमारे देश को जनतंत्र और गणतंत्र बनाया और भारत के संविधान को देश को समर्पित किया.

मुझे गर्व है कि आज दिल्ली सरकार स्वतंत्रता सेनानियों और बाबा साहब अंबेडकर के सपनों को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत कर रही है. यह मेहनत हमारी जिम्मेदारी है. बाबा साहेब और स्वतंत्रता सेनानियों के सपने को साकार करना हमारी ज़िम्मेदारी है, क्योंकि उनके साथ सैकड़ों-हज़ारों लोगों ने कुर्बानियां दी हैं, जिनके नाम हमें भी नहीं पता. उनके सपनों को पूरा करके ही हम उनकी कुर्बानियों का कर्ज़ चुका सकते हैं.

आतिशी ने कहा कि बाबा साहेब ने महान संविधान लिखकर यह सपना देखा था कि देश का हर बच्चा बराबर होगा. चाहे वह अमीर से अमीर घर से हो या गरीब से गरीब, हर बच्चे को अच्छी शिक्षा मिलनी चाहिए. पिछले 10 सालों से दिल्ली सरकार इसी सपने को साकार करने में लगी है. एक समय था, जब दिल्ली के सरकारी स्कूलों की स्थिति बहुत खराब थी. जब एक आम और गरीब परिवार का बच्चा सरकारी स्कूल में पढ़ने जाता था, तो उसे बराबरी की शिक्षा का अधिकार नहीं मिलता था. हमारे स्कूल टूटे-फूटे टिन शेड में चलते थे. बच्चे टाट-पट्टी पर बैठकर पढ़ते थे. उनकी पढ़ाई-लिखाई अच्छी नहीं होती थी. पीने का साफ पानी नहीं था और क्लासरूम में डेस्क तक नहीं होती थी. गरीब परिवारों के बच्चों को अच्छी पढ़ाई नहीं मिलती थी. इसका नतीजा यह होता था कि एक आम और गरीब परिवार से आने वाला बच्चा गरीब ही रह जाता था. यह हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और बाबा साहब अंबेडकर का सपना नहीं था.

सीएम आतिशी ने कहा कि इन स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को पूरा करने के लिए हमने दिल्ली सरकार में बड़े बदलाव लाने शुरू किए. सरकारी स्कूलों की शानदार नई इमारतें बनाई गईं. बच्चों को अच्छे डेस्क और कंप्यूटर लैब दी गईं. शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए विदेश भेजा गया. यह मेरे लिए गर्व की बात है कि दिल्ली सरकार देश की इकलौती ऐसी सरकार है, जो अपने बजट का एक चौथाई, यानी 25 प्रतिशत हिस्सा बच्चों की शिक्षा और उनके भविष्य पर खर्च करती है. मुझे इस बात पर गर्व है कि आज दिल्ली में बाबा साहब अंबेडकर का सपना पूरा हो रहा है. आज गरीब परिवारों के बच्चों को भी अच्छी शिक्षा मिल रही है. आज सरकारी स्कूलों के बच्चे नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं. आज गरीब परिवार के बच्चे इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज में प्रवेश ले रहे हैं.

सीएम आतिशी ने बताया कि कुछ दिनों पहले मैं सिंपी नाम की एक लड़की से मिली थी, जो एक छोटे गरीब परिवार से आती थी. उसके पिताजी एक छोटी सी फैक्ट्री में काम करते थे. अच्छी पढ़ाई और अवसर मिलने की वजह से आज दिल्ली की वह बेटी आईआईटी गुवाहाटी में केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही है. एक छोटी फैक्ट्री में काम करने वाले व्यक्ति की बेटी आने वाले कुछ सालों में उस फैक्ट्री की मैनेजर बनेगी, उस कंपनी की सीईओ बनेगी और अपने परिवार व देश का नाम रौशन करेगी. यह बाबा साहेब का सपना है. जब हमारे स्कूलों से निकलने वाले बच्चे अच्छी नौकरियां और रोजगार करेंगे, तो सरकारों को गरीबी दूर करने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी. अगर एक बच्चा अच्छे से पढ़-लिख जाए, तो वह अपनी एक पूरी पीढ़ी को गरीबी से बाहर निकाल सकता है. आज दिल्ली के स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों बच्चे अच्छी शिक्षा पाकर अपने परिवार, दिल्ली और देश को आगे बढ़ा रहे हैं.

आतिशी ने कहा कि हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और बाबा साहेब का यह भी सपना था कि ऐसा कोई व्यक्ति न हो, जिसका इलाज पैसे की कमी के कारण न हो पाए. इस सपने को पूरा करने के लिए दिल्ली सरकार काम कर रही है. हम सबने कई बार खबरों में देखा है कि जब किसी आम परिवार का कोई सदस्य बीमार पड़ जाता है, तो उसका इलाज करवाने के लिए परिवार को अपने गहने और घर गिरवी रखना पड़ता है. लोगों को अपनी जमीन भी गिरवी रखनी पड़ती है. कुछ साल पहले मैं एक अस्पताल के आईसीयू के बाहर बैठी थी, मेरे परिवार के एक सदस्य का अंदर इलाज चल रहा था. वहीं एक गरीब परिवार भी बैठा था. उस परिवार की बेटी के पिता और पति का अंदर इलाज चल रहा था. डॉक्टर ने उनसे कहा कि इनका इलाज करना बहुत मुश्किल है, इसमें बहुत खर्च आएगा और हो सकता है कि इसके बाद भी आपके पिता और पति बच न पाएं. तो उस महिला ने कहा कि मैं अपना घर और जमीन बेच दूंगी, लेकिन दोनों की जान बचाऊंगी. क्या एक महिला को यह चुनाव करना पड़ेगा कि वह अपना घर बचाए या पति की जान? ऐसी स्थिति देश के किसी व्यक्ति के सामने नहीं आनी चाहिए. यह हम सरकारों की जिम्मेदारी है कि हम स्वतंत्रता सेनानियों के इस सपने को भी पूरा करें.

सीएम आतिशी ने कहा कि मुझे गर्व है कि पिछले 10 सालों से दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में जो इलाज हो रहा है, वह बाबा साहेब अंबेडकर के सपनों को साकार कर रहा है. आज दिल्ली सरकार के अस्पतालों में सारा इलाज पूरी तरह मुफ्त है, चाहे वह इलाज 5 हजार रुपये का हो या 5 लाख रुपये का. दिल्ली में रहने वाले किसी भी व्यक्ति को अपने इलाज पर एक भी पैसा खर्च नहीं करना पड़ता, क्योंकि दिल्ली सरकार सारा खर्च उठाती है और बाबा साहेब के सपनों को साकार करने की जिम्मेदारी निभाती है. आज दिल्ली के हर मोहल्ले और गली में मोहल्ला क्लीनिक खुले हुए हैं, जहां सारा इलाज, जांच और दवाइयां मुफ्त मिलती हैं. इन मोहल्ला क्लीनिकों में लोग छोटी-मोटी बीमारियों के इलाज के लिए जाते हैं, जिनके लिए वे कई बार यह सोचकर डॉक्टर के पास जाने से बचते थे कि हजारों रुपये खर्च हो जाएंगे. अब महिलाओं, बच्चों या बुजुर्गों को यह सोचने की जरूरत नहीं पड़ती, क्योंकि दिल्ली सरकार ने उनकी काॅलोनियों में मोहल्ला क्लीनिक बनाकर वर्ल्ड क्लास इलाज दिया है, जिसका लाभ बिना किसी खर्च के हर दिल्लीवासी को मिल रहा है.

सीएम आतिशी ने कहा कि दिल्ली और देश के आगे बढ़ने के लिए इस शहर के इंफ्रास्ट्रक्चर को भी आगे बढ़ाने की जरूरत है. दिल्ली देश का इकलौता ऐसा राज्य है जहां 24 घंटे बिजली मिलती है. दिल्ली वह राज्य है, जहां का पावर इंफ्रास्ट्रक्चर 2024 की तपती गर्मी में भी फेल नहीं हुआ. पिछले साल पूरे देश में इतनी भीषण गर्मी पड़ी कि तापमान 50 डिग्री के ऊपर चला गया. देश का कोई ऐसा हिस्सा नहीं बचा, जहां 6-6 घंटे के पावरकट न लगे हों या बिजली न गई हो. लेकिन यह गर्व की बात है कि दिल्ली देश का इकलौता ऐसा राज्य है, जिसने हर नागरिक को बिना किसी पावरकट के 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराई. जब हर घर में बिजली होती है, तो बच्चे पढ़ाई कर सकते हैं, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर सकते हैं और एक परिवार का हर सदस्य आगे बढ़ सकता है. दिल्ली सरकार ने यह सपना पूरा किया है.

सीएम आतिशी ने अंत में कहा कि दिल्ली के विकास की कहानी अभी खत्म नहीं हुई है. हमें सभी दिल्लीवासियों से यह प्रण लेना है कि हम दिल्ली को और अधिक ऊंचाइयों तक ले जाएंगे. हम दिल्ली की हर महिला को सशक्त करेंगे, ताकि उन्हें किसी पुरुष के सामने पैसे मांगने के लिए हाथ न फैलाना पड़े. दिल्ली के बच्चों को बेहतर शिक्षा और हर युवा को रोजगार मिलेगा. दिल्ली के हर बुजुर्ग को अच्छा स्वास्थ्य सेवा मिलेगा. और आज जब देश 76वां गणतंत्र दिवस मना रहा है, तो हमें एकजुट होकर बाबा साहब के संविधान को और स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को आगे बढ़ाना है. मुझे पूरा विश्वास है कि जिस तरह पिछले दस साल में दिल्ली ने अभूतपूर्व विकास देखा है, वैसे ही आने वाले वर्षों में दिल्लीवासी एकजुट होकर दिल्ली को और भी आगे ले जाएंगे.

पीकेटी/