‘विकसित भारत’ के निर्माण के लिए अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलना जरूरी : पीएम मोदी

नई दिल्ली, 23 जनवरी . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती के मौके पर कटक में आयोजित ‘पराक्रम दिवस’ कार्यक्रम को संबोधित किया. पीएम मोदी ने आमजन से आह्वान करते हुए कहा कि नेताजी ने आजादी के लिए कष्टों को चुना, चुनौतियों को चुना, देश-विदेश में भटकना पसंद किया. मगर, वो कंफर्ट जोन के बंधन में नहीं बंधे. इसी प्रकार आज हम सभी को ‘विकसित भारत’ के निर्माण के लिए अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलना है.

उन्होंने कहा कि आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जन्म जयंती के पावन अवसर पर पूरा देश श्रद्धापूर्वक उन्हें याद कर रहा है. मैं नेताजी सुभाष बाबू को श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं. इस वर्ष के ‘पराक्रम दिवस’ का भव्य उत्सव नेताजी की जन्मभूमि पर हो रहा है. मैं ओडिशा की जनता को, ओडिशा सरकार को, इसके लिए बहुत बधाई देता हूं. कटक में नेताजी के जीवन से जुड़ी एक विशाल प्रदर्शनी भी लगाई गई है, जिसमें नेताजी के जीवन से जुड़ी अनेक विरासतों को एक साथ सहेजा गया है. कई चित्रकारों ने कैनवास पर नेताजी के जीवन प्रसंग की तस्वीरें उकेरी हैं. इन सबके साथ नेताजी के जीवन पर आधारित कई पुस्तकों को भी इकट्ठा किया गया है. ये सारी विरासत मेरे युवा भारत, नए भारत को एक नई ऊर्जा देगी.

पीएम मोदी ने कहा कि आज जब हमारा देश ‘विकसित भारत’ के संकल्प की सिद्धि के लिए जुटा है, तब नेताजी के जीवन से हमें निरंतर प्रेरणा मिलती है. नेताजी के जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य था, आजाद हिंद. उन्होंने अपने संकल्प की सिद्धि के लिए अपने फैसले को एक ही कसौटी पर परखा, आजाद हिंद. नेताजी एक समृद्ध परिवार में जन्मे, उन्होंने सिविल सर्विस की परीक्षा पास की. वे चाहते तो अंग्रेजी शासन में वरिष्ठ अधिकारी बनकर आराम की जिंदगी जीते. लेकिन, उन्होंने आजादी के लिए कष्टों को चुना, चुनौतियों को चुना, देश-विदेश में भटकना पसंद किया. नेताजी सुभाष कंफर्ट जोन के बंधन में नहीं बंधे. इसी प्रकार आज हम सभी को ‘विकसित भारत’ के निर्माण के लिए अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलना है. हमें खुद को ‘ग्लोबली बेस्ट’ बनाना है. एक्सीलेंस को चुनना ही है. एफीशिएंसी पर फोकस करना है.

पीएम मोदी ने कहा, ”नेताजी ने देश की स्वतंत्रता के लिए आजाद हिंद फौज बनाई. इसमें देश के हर क्षेत्र, हर वर्ग के वीर और वीरांगनाएं शामिल थीं. सभी की भावना एक थी, देश की आजादी. यही एकजुटता आज ‘विकसित भारत’ के लिए बहुत बड़ी सीख है, तब स्वराज के लिए हमें एक होना था, आज ‘विकसित भारत’ के लिए हमें एक रहना है. आज विश्व में हर तरफ भारत की प्रगति के लिए अनुकूल माहौल है. दुनिया भारत की ओर देख रही है कि कैसे हम इस 21वीं सदी को ‘भारत की शताब्दी’ बनाते हैं. ऐसे महत्वपूर्ण कालखंड में हमें नेताजी सुभाष की प्रेरणा से भारत की एकजुटता पर बल देना है. हमें उन लोगों से भी सतर्क रहना है, जो देश को कमजोर करना चाहते हैं, जो देश की एकता को तोड़ना चाहते हैं. नेताजी सुभाष ‘भारत की विरासत’ पर बहुत गर्व करते थे. वे अक्सर भारत के समृद्ध लोकतांत्रिक इतिहास की चर्चा करते थे. आज भारत गुलामी की मानसिकता से बाहर निकल रहा है. अपनी विरासत पर गर्व करते हुए विकास कर रहा है.”

पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा, ”मेरा सौभाग्य है कि आजाद हिंद सरकार के 75 वर्ष पूरे होने पर लाल किले पर तिरंगा फहराने का मौका मिला था. नेताजी की विरासत से प्रेरणा लेते हुए हमारी सरकार ने 2019 में दिल्ली के लाल किले में नेताजी सुभाष को समर्पित म्यूजियम का निर्माण किया. उसी साल ‘सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार’ शुरू किए गए. 2021 में सरकार ने निर्णय लिया कि नेताजी की जयंती को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा. इंडिया गेट पर विशाल प्रतिमा लगाना, अंडमान के द्वीप का नाम नेताजी के नाम पर, गणतंत्र दिवस की परेड में आईएनए के जवानों को नमन करना सरकार की इसी भावना का प्रतीक है.”

उन्होंने कहा कि बीते 10 वर्ष में सरकार ने यह भी दिखाया है कि तेज विकास से सामान्य जन का जीवन भी आसान होता है और सैन्य सामर्थ्य भी बढ़ता है. बीते दशक में 25 करोड़ भारतीयों को गरीबी से बाहर निकाला गया है. ये बहुत बड़ी सफलता है. आज गांव हो या शहर, हर तरफ आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण हो रहा है. साथ ही भारत की सेना की ताकत में भी अभूतपूर्व वृद्धि हुई है. आज विश्व मंच पर भारत की भूमिका बढ़ रही है, भारत की आवाज बुलंद हो रही है. वो दिन दूर नहीं, जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक ताकत बनेगा. हमें नेताजी सुभाष की प्रेरणा से ‘एक लक्ष्य, एक ध्येय’ विकसित भारत के लिए निरंतर काम करते रहना है. यही नेताजी को हमारी सच्ची कार्यांजलि होगी.

एसके/एबीएम