नई दिल्ली, 22 जनवरी . डीएमके नेता ए राजा ने बुधवार को जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल को पत्र लिखकर 24 और 25 जनवरी को निर्धारित बैठकों को स्थगित करने की मांग की है.
ए राजा ने अपने पत्र में लिखा है कि लोकसभा सचिवालय द्वारा 20 जनवरी 2025 को भेजे गए पत्र के अनुसार, जेपीसी के सभी सदस्यों से प्रस्तावित विधेयक में संशोधन के लिए आज यानी 22 जनवरी 2025 तक शाम 4 बजे तक अपने सुझाव भेजने को कहा गया था. इसके साथ ही, 24 और 25 जनवरी को विधेयक के प्रत्येक खंड पर चर्चा करने के लिए जेपीसी की अगली बैठक भी निर्धारित की गई थी.
उन्होंने पत्र में उल्लेख किया कि जेपीसी के सदस्य 21 जनवरी 2025 को पटना, कोलकाता और लखनऊ में संबंधित पक्षों से मिलने के लिए आयोजित दौरे पर थे, इसके बाद सदस्यों को उनके निर्वाचन क्षेत्रों में भेज दिया गया था. उन्होंने यह भी कहा कि यह बहुत अजीब है कि जेपीसी की अगली बैठक के लिए तारीखें बिना किसी औपचारिक चर्चा के जल्दी से घोषित कर दी गईं, जबकि जेपीसी सदस्य दौरे पर थे. लखनऊ में हुई जेपीसी बैठक के दौरान भी सदस्यों ने यह अनुरोध किया था कि 24 और 25 जनवरी को प्रस्तावित बैठकें व्यावहारिक रूप से संभव नहीं हैं, क्योंकि सदस्यों को स्थानीय कार्यक्रमों को पूरा करने के लिए अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करना है.
ए राजा ने बताया कि सदस्यों को इतनी कम समय में उन साक्ष्यों और सामग्री को पुनः प्राप्त करने में मुश्किल हो रही है, जो संशोधन प्रस्तुत करने और उस पर चर्चा करने के लिए आवश्यक हैं. इसके अतिरिक्त, उन्होंने यह भी याद दिलाया कि पटना, कोलकाता और लखनऊ में आयोजित दौरे के दौरान भाग लेने वाले हितधारकों से सात दिनों के भीतर लिखित सुझाव प्रस्तुत करने को कहा गया था और कमेटी उस पर विचार कर रही है.
राजा ने आगे लिखा कि लखनऊ बैठक (21 जनवरी 2025) में अधिकांश सदस्यों ने यह अनुरोध किया था कि 24 और 25 जनवरी को प्रस्तावित जेपीसी बैठकें स्थगित कर दी जाएं और उन्हें 30 और 31 जनवरी 2025 को आयोजित किया जाए, ताकि सदस्यों को उचित समय मिल सके और वह अपनी जिम्मेदारियों को पूरा कर सकें.
उन्होंने पत्र में यह भी उल्लेख किया कि जेपीसी बैठक को स्थगित करने की मांग को आप सकारात्मक रूप से विचार करने का आश्वासन पहले ही दे चुके हैं और इस पर सरकार से परामर्श के बाद निर्णय लिया जाएगा.
ए राजा ने आगे कहा कि अगर 24 और 25 जनवरी को जेपीसी की बैठकें स्थगित नहीं की जाएंगी, तो इसका उद्देश्य विफल हो जाएगा और यह भारतीय संविधान की धर्मनिरपेक्षता को लेकर संदेह उत्पन्न करेगा. उन्होंने यह निवेदन किया कि जेपीसी की बैठकें 30 और 31 जनवरी को आयोजित की जाएं, जैसा कि लखनऊ में चर्चा की गई थी.
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