जेजीयू के वाइस चांसलर ने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में दी स्पीच

दावोस, 22 जनवरी . ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (जेजीयू) के वाइस चांसलर (डॉ.) सी. राज कुमार ने 20 जनवरी को वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) 2025 में स्विट्जरलैंड के दावोस में आयोजित “न्यू सिविलाइजेशन प्रोजेक्ट” पर राउंड टेबल चर्चा में हिस्सा लिया. इस चर्चा का विषय था: “मानवता, प्रकृति और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का सामंजस्यपूर्ण संतुलन.” यह आयोजन पर्पज ड्राइवन इनोवेशन इकोसिस्टम (पीडीआईई) ग्रुप द्वारा आयोजित किया गया था.

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम हर साल दावोस में होता है, जहां दुनियाभर के नेता मिलकर वैश्विक और क्षेत्रीय समस्याओं पर चर्चा करते हैं. डब्ल्यूईएफ की 2025 वार्षिक बैठक का विषय था: “स्मार्ट युग के लिए सहयोग,” और इसमें 130 से अधिक देशों के लगभग 3,000 नेता शामिल हुए.

दावोस में न्यू सिविलाइजेशन प्रोजेक्ट के राउंड टेबल के मेजबान पीडीआईई ग्रुप का उद्देश्य है कि वह स्थायी विकास के लिए उद्यमियों, कंपनियों, निवेशकों और शोधकर्ताओं को जोड़कर वैश्विक इनोवेशन इकोसिस्टम तैयार करे. न्यू सिविलाइजेशन प्रोजेक्ट की इस राउंड टेबल में विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख नेताओं और इनोवेटर्स ने मानवता, प्रकृति और एआई को सामंजस्यपूर्ण रूप से साथ लाने के तरीकों पर विचार साझा किए.

प्रोफेसर कुमार ने इस चर्चा में बताया कि कैसे शिक्षा और टिकाऊ विकास सामंजस्यपूर्ण भविष्य के पिलर बन सकते हैं जहां प्रकृति में मानवीय आकांक्षाओं और इकोलॉजिकल वास्तविकताओं के बीच तालमेल बन सके.

प्रोफेसर कुमार ने प्रस्ताव दिया कि एआई द्वारा संचालित दुनिया की जटिलताओं से निपटने के लिए शिक्षा को उसके परंपरागत ढांचे से आगे ले जाया जाए. उन्होंने अंतर्विषयक और समग्र शिक्षा, आलोचनात्मक सोच, और नैतिक निर्णय लेने की क्षमता विकसित करने की जरूरत पर जोर दिया.

उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम में पर्यावरणीय जागरूकता, टिकाऊपन के सिद्धांत और तकनीक के नैतिक पहलुओं को शामिल किया जाना चाहिए. इससे आने वाली पीढ़ियों में समग्र समस्या समाधान की क्षमता विकसित होगी.

उन्होंने कहा कि सीखने के तरीके में इस तरह का बदलाव समाज को सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को एक सामूहिक मिशन के रूप में अपनाने और जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता हानि और संसाधन असमानता जैसी महत्वपूर्ण वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक व्यावहारिक ढांचे के रूप में अपनाने के लिए तैयार करेगा.

प्रोफेसर कुमार ने कहा कि एआई को एक सहयोगी के रूप में देखा जाना चाहिए. उन्होंने शिक्षा के लिए समाधानों को बढ़ाने, पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने और प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र को बढ़ावा देने वाले इनोवेशन में एआई की भूमिका पर जोर दिया.

उनका मानना है कि एआई में मानव की आकांक्षाओं और प्रकृति की सीमाओं के बीच एक सेतु का काम करने की क्षमता है. यह संसाधन अनुकूलन, भविष्यवाणी पारिस्थितिक मॉडलिंग, पर्यावरण निगरानी और समान निर्णय लेने को सक्षम बनाकर वैश्विक स्थिरता लक्ष्यों की उपलब्धि को तेज कर सकता है.

समाज के ताने-बाने में एआई के एकीकरण पर चर्चा करते हुए, प्रोफेसर कुमार ने वैश्विक कानूनी और नैतिक ढांचे स्थापित करने के महत्व को रेखांकित किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि एआई पारदर्शी और जिम्मेदारी से संचालित हो, मानवाधिकारों, जैव विविधता आदि की रक्षा करे.

प्रोफेसर कुमार ने कहा कि यदि हम एआई का उपयोग मानवीय मूल्यों को ध्यान में रखते हुए करें, तो इससे मानवता को तेजी से आगे बढ़ने में मदद मिलेगी. आज के तकनीकी युग में, हमें मानव रचनात्मकता को बढ़ावा देना चाहिए, जैसे कला, संगीत और दर्शन, ताकि मशीनों के बढ़ते उपयोग का संतुलन बना रहे.

उन्होंने यह भी कहा कि हमें कमजोर वर्गों और विकासशील देशों को एआई तकनीक और एआई से जुड़े क्षेत्रों में कौशल विकास के अवसर प्रदान करने चाहिए.

अपनी स्पीच के अंत में, प्रोफेसर कुमार ने कहा कि हमें एक ऐसे भविष्य के लिए सामूहिक रूप से काम करना चाहिए जहां मानवता, प्रकृति और एआई के बीच संतुलन बना रहे.

उन्होंने कहा कि यदि हम मानवीय बुद्धि, प्रकृति की समझ और एआई की शक्ति को एक साथ मिलाएं, तो हम एक ऐसा समाज बना सकते हैं जहां तकनीकी प्रगति से पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे, बल्कि वह हमारे साथ सह-अस्तित्व में रहे.

उन्होंने यह भी जोर दिया कि शिक्षा, सतत विकास, प्रभावी नीतिगत सुधार और कानूनी व्यवस्था को मजबूत करके, हम मानवता के भीतर नवाचार, अनुकूलन और नेतृत्व की क्षमता को पुनर्जीवित कर सकते हैं, जिससे एक संतुलित समाज का निर्माण हो सके.

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