नई दिल्ली, 22 जनवरी . रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को एक साल हो गए हैं. आस्थावान अपने प्रभु के दर्शन को पहुंच रहे हैं. हालांकि 11 जनवरी 2025 को हिंदू तिथि और मान्यतानुसार प्रथम वर्षगांठ मनाई जा चुकी है लेकिन महाकुंभ पर्व के दौरान यहां पहुंचने वालों की संख्या भी कम नहीं है. क्या आज वो संयोग है जो 2024 में था, क्या महाकुंभ पर्व के दौरान यहां पहुंचने का खास महत्व है या फिर कौन सा वो समय है जिस में रामलला के दर्शन कर विशेष लाभ के भागी बन सकते हैं?
न्यूज एजेंसी से ज्योतिष और वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ गायत्री शर्मा ने बातचीत में संयोग, दर्शन लाभ और महाकुंभ पर्व के दौरान राम लला मंदिर में पूजन अर्चन का विशेष महत्व बताया. उन्होंने कहा, आज माघ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है. दिन बुधवार है. सनातन धर्म में बुधवार का दिन भगवान गणेश को प्रिय है. आज के दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं. अमृत काल में दर्शन पूजन का खास महत्व होता है. सूर्य उत्तरायण में हैं ऐसे में 22 जनवरी (बुधवार) को अमृतकाल अपराह्न 12 बजे से 1:30 बजे तक है. अगर कोई भक्त गण इस दौरान भी पूजा पाठ करता है तो उसे लाभ मिलेगा.
ज्योतिष विशेषज्ञ के अनुसार वैसे तो आज दिशाशूल भी है और वो संयोग भी नहीं जो पिछले साल प्राण प्रतिष्ठा के दौरान था. वो पौष माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को हुई थी लेकिन इस बार ऐसा नहीं है. यही वजह है कि 11 जनवरी को ही श्रीराम लला प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव वषर्गांठ मनाया गया. इन सब योग संयोग के बीच मैं एक बात स्पष्ट करना चाहती हूं वो ये कि भगवान की स्थापना का मुहूर्त हो सकता है लेकिन उनके दर्शन का कोई विशेष मुहूर्त नहीं होता. बस भक्ति भाव ही मायने रखता है.
गायत्री शर्मा मानती हैं कि भले ही समय संयोग नहीं लेकिन महाकुंभ महापर्व तो चल रहा है. 144 वर्षों के बाद ऐसा हुआ है, ये समय ही अद्भुत है. संयोग तो ये भी विशेष है. 22 जनवरी 2025 को जो मुहूर्त था वो पच्चीस वर्ष बाद दोबारा आएगा. फिलहाल हम उसकी कल्पना नहीं कर सकते.
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केआर/