दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025: मुस्लिम बाहुल्य मटिया महल में ‘उम्मीदवार’ अहम, भाजपा-कांग्रेस के लिए ‘आप’ बड़ी चुनौती

नई दिल्ली, 22 जनवरी . दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में चुनावी सरगर्मियां जोरों पर हैं. राज्य में भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी इस चुनाव में सीधे मैदान में हैं, जबकि कांग्रेस पार्टी भी 10 साल पहले खोई हुई सत्ता वापस पाना चाहती है. ऐसे में राज्य में हर एक सीट बड़ी ही महत्वपूर्ण हो जाती है. दिल्ली की मटिया महल सीट खास तौर पर व्यापारिक गतिविधियों के लिए जानी जाती है. यहां कई छोटी-बड़ी दुकानें स्थित हैं.

इस निर्वाचन क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की निर्णायक भूमिका होती है, और यह दिल्ली का दूसरा सबसे बड़ा मुस्लिम बहुल क्षेत्र है. मटिया महल सीट में अजमेरी गेट, लाल कुआं, जामा मस्जिद, मिंटो रोड, डीडीयू मार्ग, टैगोर रोड, सीताराम बाजार और चावडी बाजार जैसे प्रमुख इलाके आते हैं. इन इलाकों के आसपास व्यापारिक केंद्र काफी हैं और जामा मस्जिद के आसपास के इलाके में वैश्य समुदाय के भी मतदाता अच्छी संख्या में हैं.

मटिया महल विधानसभा क्षेत्र में चुनावी इतिहास और परिणाम हमेशा दिलचस्प रहे हैं. खास बात यह है कि पिछले 35 वर्षों में यहां कोई भी गैर-मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत सका है. इसके अलावा, यहां अब तक 10 चुनावों में से पांच बार ऐसी पार्टी ने जीत दर्ज की है जिसका दिल्ली में कोई जनाधार नहीं था. इस चुनावी क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या बिजली के तारों के जाल, संकरी गलियां, पाइपलाइनों की खराब स्थिति और गंदगी है. इन संकरे रास्तों के कारण यहां दुर्घटनाओं का खतरा हमेशा बना रहता है, और हादसे होने पर दमकल की गाड़ियों को घटनास्थल तक पहुंचने में कठिनाई होती है. इस वजह से स्थानीय लोग इन समस्याओं को लेकर लगातार आवाज उठाते रहे हैं. वर्तमान समय में इस सीट पर आम आदमी पार्टी का कब्जा है और शोएब इकबाल विधायक हैं. इस बार भी आम आदमी पार्टी ने अपने पुराने विधायक को ही मैदान में उतारा है.

दिल्ली नगर निगम का एकीकरण होने के बाद मटिया महल निर्वाचन क्षेत्र को तीन वार्डों में बांटा गया है, जिनमें चांदनी महल, सीताराम बाजार और दिल्ली गेट शामिल हैं. इन वार्डों में से प्रत्येक का प्रतिनिधित्व एक पार्षद करता है. इस निर्वाचन क्षेत्र का चुनावी इतिहास और यहां की राजनीति लगातार बदलती रही है. 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार शोएब इकबाल ने शानदार जीत दर्ज की थी और उन्हें 67,282 वोट मिले थे, जो कुल वैध मतों का 75.96 प्रतिशत था. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के रविंदर गुप्ता को 17,041 वोट से हराया. वहीं, कांग्रेस के मिर्जा जावेद अली को केवल 3,409 वोट ही मिले थे.

मटिया महल विधानसभा सीट पर 2025 के चुनाव में भाजपा, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला होने की संभावना है. आम आदमी पार्टी ने शोएब इकबाल को फिर से उम्मीदवार बनाया है, जबकि कांग्रेस ने असीम अहमद खान को मैदान में उतारा है और भाजपा ने दीप्ति इंदौरा को अपना प्रत्याशी घोषित किया है. यह सीट शोएब इकबाल का गढ़ मानी जाती है, जिन्होंने 1993 से लेकर अब तक विभिन्न राजनीतिक दलों के टिकट पर इस सीट से चुनाव लड़ा है. हालांकि, 2015 और 2020 के चुनावों में उन्होंने आम आदमी पार्टी के टिकट पर अपनी सीट हासिल की. अगर वे 2025 के चुनाव में जीतने में सफल होते हैं, तो यह उनका सातवां कार्यकाल होगा.

वर्तमान में यहां कुल मतदाताओं की संख्या 1,29,270 है, जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 66,871 है, जबकि 62,367 यहां महिला मतदाता हैं. इसके अलावा यहां 32 ट्रांसजेंडर मतदाता भी हैं.

2020 दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के शोएब इकबाल ने शानदार जीत दर्ज की. उन्हें 67,282 वोट मिले, जो कि कुल वैध मतों का एक बड़ा हिस्सा था. इस चुनाव में भाजपा के रविंदर गुप्ता को 17,041 वोट मिले, जबकि कांग्रेस के मिर्जा जावेद अली को केवल 3,409 वोट ही प्राप्त हुए.

2015 दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के असीम अहमद खान ने मटिया महल सीट पर 47,584 वोटों के साथ जीत हासिल की थी. कांग्रेस के शोएब इकबाल को 21,488 वोट मिले, और भाजपा के शकील अंजुम देहलवी को 9,105 वोट मिले थे.

2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में जेडीयू के शोएब इकबाल ने 22,732 वोटों के साथ जीत हासिल की थी. कांग्रेस के मिर्जा जावेद अली को 19,841 वोट मिले, जबकि आम आदमी पार्टी के शकील अंजुम को 18,668 वोट मिले थे.

पीएसएम/केआर