नई दिल्ली, 20 जनवरी . कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, रबी के सीजन में अब तक 640 लाख हेक्टेयर से अधिक के क्षेत्र में बुआई की गई है. पिछले वर्ष लगभग 637.5 लाख हेक्टेयर में फसलों की बुआई की गई थी.
पिछले वर्ष इसी अवधि में 315.63 लाख हेक्टेयर की तुलना में इस बार गेहूं की कुल बुआई 320 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हुई है. इससे इस सीजन में अनाज का उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, सर्दियों की बारिश से भी फसल को लाभ मिलने की उम्मीद है.
दलहन के अंतर्गत कुल क्षेत्रफल पिछले वर्ष की इसी अवधि के 139.29 लाख हेक्टेयर की तुलना में इस वर्ष 141.69 लाख हेक्टेयर हो गया है. इससे दालों की कीमतों पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी.
श्री अन्ना और मोटे अनाज के तहत 54.49 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खेती की गई है, जबकि तिलहन की बुआई 97.62 हेक्टेयर में की गई है.
वित्त मंत्रालय की मासिक आर्थिक समीक्षा के अनुसार, आने वाले दिनों में खाद्य मुद्रास्फीति में कमी आने की उम्मीद है और अर्थव्यवस्था के गति पकड़ने की संभावना है. क्योंकि कृषि क्षेत्र को अनुकूल मानसून की स्थिति, बढ़े हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य और इनपुट की पर्याप्त आपूर्ति से लाभ होने की संभावना है.
सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित भारत की खुदरा मुद्रास्फीति दर पिछले साल दिसंबर में 5.22 प्रतिशत के 4 महीने के निचले स्तर पर आ गई, क्योंकि महीने के दौरान सब्जियों, दालों और चीनी की कीमतों में कमी आई, जिससे घरेलू बजट को राहत मिली.
अक्टूबर में 6.21 प्रतिशत के 14 महीने के उच्चतम स्तर को छूने के बाद मुद्रास्फीति में कमी लगातार गिरावट की प्रवृत्ति को दर्शाती है. नवंबर में सीपीआई मुद्रास्फीति घटकर 5.48 प्रतिशत रह गई थी. दिसंबर में खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट का श्रेय प्रमुख खाद्य वस्तुओं में मूल्य वृद्धि में कमी को दिया गया.
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