बंगाल : ‘एक्सपायरी’ सलाइन से मौत मामला, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कई अंगों के फेल होने की बात आई सामने

कोलकाता, 15 जनवरी . पश्चिम मिदनापुर जिले में एक सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 10 जनवरी को कथित तौर पर एक्सपायर रिंगर लैक्टेट दिए जाने के बाद मरने वाली महिला मामोनी रुइदास की पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें उसकी मौत के पीछे मल्टी ऑर्गन फेलियर और सेप्टीसीमिया होने का संकेत दिया गया है.

मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि शुरुआती पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी महिला के शरीर में जहरीले तरल पदार्थ की मौजूदगी की बात कही गई है. इस बात ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या पीड़िता को सलाइन के अलावा ऑक्सीटोसिन भी दिया गया था ताकि जहरीले तरल पदार्थ के असर को नियंत्रित रखा जा सके.

इस मामले में पहले से ही दो जांच की जा रही हैं, पहली राज्य स्वास्थ्य विभाग द्वारा गठित समिति और दूसरी राज्य पुलिस के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) कर रहा है.

पिछले सप्ताह पश्चिम मिदनापुर जिले के उक्त सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में पांच महिलाएं कथित तौर पर एक्सपायरी रिंगर लैक्टेट दिए जाने के बाद बीमार पड़ गई थीं. इनमें से एक महिला की अस्पताल में मौत हो गई.

इसके बाद अन्य चार महिलाओं को उसी अस्पताल की क्रिटिकल केयर यूनिट और इंटेंसिव केयर यूनिट में उपचार के लिए रखा गया. उनमें से तीन को उनकी चिकित्सा स्थिति में तेज गिरावट के बाद कोलकाता के सरकारी एस.एस.के.एम मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में स्थानांतरित करना पड़ा.

इस घटना ने गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं, क्योंकि एक्सपायरी आरएल सलाइन कथित तौर पर पश्चिम बंगा फार्मास्युटिकल लिमिटेड से आई थी, जो कि पहले कर्नाटक सरकार और बाद में पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा प्रतिबंधित की गई कंपनी थी.

इसके बाद राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने सभी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों के चिकित्सा अधीक्षकों-सह-उप-प्रधानाचार्यों और जिलों के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे अपने अधिकार क्षेत्र में पश्चिम बंगा फार्मास्युटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा आपूर्ति किए गए कंपाउंड सोडियम लैक्टेट इंजेक्शन (आरएल) के मौजूदा स्टॉक को पूरी तरह से बंद कर दें.

बाद में, राज्य सरकार ने राज्य में सभी स्वास्थ्य सेवा संस्थाओं से उक्त कंपनी द्वारा आपूर्ति की गई सभी दवाओं के स्टॉक को हटाने का भी निर्देश दिया.

इस घटना ने राज्य की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में इसी तरह के मामलों को लेकर चिंताएं फिर से पैदा कर दी हैं.

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एमकेएस/केआर