रांची, 14 जनवरी . मकरसंक्रांति पर झारखंड के देवघर स्थित मनोकामना ज्योतिर्लिंग, दुमका में बासुकीनाथ धाम, रामगढ़ जिले के रजरप्पा में दामोदर-भैरवी संगम और चतरा जिले के इटखोरी में स्थित भद्रकाली मंदिर परिसर में मंगलवार को श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा. इन सभी विशिष्ट धर्मस्थलों पर सूर्योदय के पहले से भक्तों की कतारें लगीं और गगनभेदी जयकारों के बीच शाम तक यह क्रम चलता रहा.
देवघर स्थित मनोकामना ज्योतिर्लिंग भगवान शंकर के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में एक है. यहां झारखंड, बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों से लोग जलार्पण के लिए पहुंचे. मंदिर का पट सूर्योदय के पहले खुला और परंपराओं के अनुसार कांचा जल पूजा के लिए सरदार पंडा गुलाब नंद ओझा ने पूजा संपन्न कराई. बाबा वैद्यनाथ को तिल, गुड़ा और खिचड़ी का विशेष भोग लगाया गया. यहां की परंपरा के अनुसार, अगले एक माह तक बाबा को प्रतिदिन और तिल के लड्डू और खिचड़ी का विशेष भाग लगेगा.
इसी तरह दुमका के विश्व प्रसिद्ध बाबा बासुकीनाथ धाम मंदिर में भी सुबह से ही जल अर्पण करने के लिए श्रद्धालुओं की कतार लगी रही. उन्होंने बासुकीनाथ स्थित पवित्र शिवगंगा में स्नान कर गुड़, तिल, दही का भोग लगाकर अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की.
रामगढ़ जिले के रजरप्पा में दामोदर और भैरवी के संगम पर स्नान और यहां स्थित प्रसिद्ध छिन्नमस्तिका शक्तिपीठ में दर्शन के लिए कई राज्यों के श्रद्धालु पहुंचे. छह हजार साल से भी अधिक पुराना यह मंदिर तंत्र-मंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध है. मान्यता है कि यहां जिन दो नदियों का संगम होता है, उनमें दामोदर नदी नहीं, ‘नद’ (नदी का पुरुष स्वरूप) है. भैरवी नदी के साथ इसके संगम को ‘काम’ और ‘रति’ का प्रतीक माना गया है. इसी विशिष्टता के कारण यहां स्नान-दान पर्व का विशेष महत्व माना जाता है.
चतरा जिले के इटखोरी स्थित भद्रकाली मंदिर परिसर में आयोजित मकरसंक्रांति मेले में भी दो लाख से ज्यादा श्रद्धालु जुटे. मंदिर में सुबह से लेकर देर शाम तक पूजा अर्चना का क्रम चलता रहा.
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एसएनसी/