महाराजगंज, 12 जनवरी . प्रयागराज में आस्था की डुबकी लगाने के लिए सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पड़ोसी देश नेपाल के श्रद्धालुओं में भी काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. नेपाल से प्रतिदिन कई साधु संत समेत श्रद्धालु सोनौली बॉर्डर से प्रयागराज के महाकुंभ के लिए रवाना हो रहे हैं.
नेपाल के काठमांडू से साधु-संतों और धर्मात्माओं का जत्था सोनौली बॉर्डर पहुंचा, जहां पर राम जानकी मंदिर में उनका भव्य स्वागत किया गया. यहां साधु-संतों को मंदिर में कीर्तन करते हुए देखा गया. सभी भगवान की भक्ति में लीन नजर आए.
साधु-संतों के जत्थे में शामिल स्वामी नारायणचार्य ने बताया, ”मैं काठमांडू का रहने वाला हूं. मैं सभी भक्तों के साथ प्रयागराज जा रहा हूं. आज सोनौली बॉर्डर पर हमारा भव्य स्वागत किया गया. हम कुंभ में पूरे जोश के साथ जा रहे हैं. हमारे साथ जो भी लोग जा रहे हैं, उन सभी में महाकुंभ को लेकर बेहद ही उत्साह है. कई सालों में एक बार आने वाले इस महाकुंभ में हम देश के कोने-कोने से आए साधु संतों के दर्शन का पुण्य ले पाएंगे. मैं सभी से कहना चाहता हूं कि वे भी कुंभ का पुण्य प्राप्त करें. हम मकर संक्रांति के शाही स्नान में वहां शामिल होंगे. करीब एक महीने तक रुकेंगे. बड़ी संख्या में भक्त वहां जा रहे हैं.”
वहीं कुंभ जा रहे जत्थे का स्वागत करने वाले महंत बाबा शिव नारायण दास ने बताया, ”यहां प्रतिदिन नेपाल से करीब 60 से 70 साधु संत यहां आते हैं. हम उनकी सेवा में कोई कमी नहीं छोड़ते. हम उनके लिए सोने, खाने की पूरी व्यवस्था करते हैं. हम भव्य रूप से उनका स्वागत करते हैं, उसके बाद उन्हें विदा किया जाता है. इतनी बड़ी संख्या में यहां से लोग प्रयागराज में आस्था की डुबकी लगाने के लिए रवाना हो रहे हैं.”
बता दें कि 144 साल बाद महाकुंभ के लिए कुछ खास संयोग बन रहा है. हर कोई कुंभ जाने से अपने आप को नहीं रोक पा रहा. अलग-अलग तरह के महात्माओं के स्वरूप अलग-अलग तरह के अखाड़ा प्रमुख कुंभ के रंग में रंगे हुए नजर आ रहे हैं. कोई महंत बड़ी वीआईपी गाड़ी से पहुंच रहा है तो कोई अलग तरीके से पैदल पहुंच रहा है. अलग-अलग वेशभूषा में महात्माओं, साधु-संतों का पहुंचना जारी है. विदेश से भी लाखों श्रद्धालु यहां पर आ रहे हैं.
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एमकेएस/केआर