मुंबई, 11 जनवरी . उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘हर विवादित ढांचे को मस्जिद नहीं बोलने’ वाले बयान पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के नेता मजीद मेमन ने शनिवार को अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, फिर हर विवादित ढांचे को मंदिर भी नहीं बोलना चाहिए.
एनसीपी (एसपी) नेता मजीद मेमन ने कहा, “मुख्यमंत्री अपने विचार और जानकारी के अनुसार अपना बयान दे रहे हैं. विवादास्पद ढांचा, चाहे वो मस्जिद या मंदिर हो, उसका फैसला करना चाहिए. वहीं जैसे वो कह रहे हैं कि विवादास्पद ढांचे को मस्जिद नहीं कहना चाहिए, ऐसे में अगर सामने कोई यह कहे कि विवादास्पद ढांचे को मंदिर नहीं कहना चाहिए, तो इस पर उनको भी आपत्ति नहीं होनी चाहिए. विवादास्पद ढांचे का मतलब है कि यह क्या है, इसकी पूरी जानकारी नहीं है. ऐसे में उसको मंदिर या मस्जिद कहें, कोई फर्क नहीं पड़ता.”
दिल्ली चुनाव में इंडिया अलायंस के सहयोगी दल ‘आम आदमी पार्टी’ (आप) को समर्थन देने और कांग्रेस से मुंह फेरने पर एनसीपी (एसपी) नेता मजीद मेमन ने कहा, “इंडिया अलायंस की सभी पार्टियों ने यह ध्यान दिया है कि अगर दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से दूर करने के लिए कोई मजबूती से खड़ी है, तो वो ‘आप’ है. यह नीति हमेशा रही है कि अगर किसी एक को हराना है, तो दूसरी तरफ सब एकसाथ हो जाएं. कांग्रेस की तरफ जाने से कोई मतलब नहीं है, क्योंकि पिछले 10 सालों से उनकी वहां पर कोई ताकत नहीं रही है. लेकिन उनका साथ नहीं देने का मतलब यह भी नहीं है कि हमारा उनसे झगड़ा हो गया है? वक्त आने पर कांग्रेस को साथ लेकर चला जाएगा. वो एक बड़ी पार्टी है.”
इंडिया अलायंस सक्रिय नहीं होने के सवाल पर उन्होंने कहा, अलायंस अभी कायम है और समय आने पर यह सक्रिय भूमिका निभाएगी.
महाराष्ट्र चुनाव पर उन्होंने कहा, “नतीजों से सभी हैरान हैं, क्योंकि ऐसा माना जा रहा था कि महाराष्ट्र में ‘महाविकास अघाड़ी’ स्वीप करेगी, क्योंकि लोकसभा चुनाव में हमने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया था. लेकिन ऐसा नहीं हुआ, जिसके कई कारण हो सकते हैं. जिसमें एक कारण सीट शेयरिंग का मुद्दा भी हो सकता है.
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए मजीद मेमन ने कहा, “कांग्रेस का इतिहास हमेशा यह रहा है कि वो बहुत सुस्त है और आखिरी दिन तक कोई फैसला नहीं लेती, वो चाहे कोई चुनावी काम हो या राष्ट्रपति का चुनाव करना हो. पार्टी को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ता है. उनको समय पर फैसला लेना चाहिए, नहीं तो पीछे रहने से वो चुनावी जंग हार जाते हैं.
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एससीएच/एबीएम