विकसित भारत युवा नेता संवाद कार्यक्रम में पहुंचे युवाओं ने पेश किया देश को आगे बढ़ाने का विजन

नई दिल्ली, 10 जनवरी . दिल्ली के प्रगति मैदान के भारत मंडपम में विकसित भारत युवा नेता संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. इस कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं को विकसित भारत के लिए अभिनव समाधान प्रस्तुत करने के लिए एक अनूठा मंच प्रदान करना है. कार्यक्रम 12 जनवरी तक चलेगा. केंद्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल और श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया के नेतृत्व में आयोजित इस कार्यक्रम में देशभर के युवा नेता अपने विचार साझा कर रहे हैं. इस आयोजन में लगभग 30 लाख युवाओं की भागीदारी हो रही है.

इस कार्यक्रम में शामिल होने आए जिग्नेश ने बताया, “हमने नमो एप का स्टॉल लगाया है. हमने इस कार्यक्रम में व्यवस्था की है कि कैसे पीएम मोदी के साथ लोग जुड़ सकते हैं और विकसित भारत का हिस्सा बन सकते हैं. इसमें हमने एक क्यूआर कोड की व्यवस्था की है. लोग इस क्यूआर कोड का इस्तेमाल करके ऐप के माध्यम से सीधा पीएम मोदी से जुड़ सकते हैं. हमारे इस स्टॉल में हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संबंधित सभी किताबें रख रखी हैं. चाहें वह किताबें उन्होंने लिखी हों या उनके ऊपर लिखी गई हों. हमने यहां पर सभी किताबें रखी हैं . यही सारी किताबें एप में ई बुक सेक्शन पर जाकर पढ़ सकते हैं. इसके अलावा नमो एआई का भी एक सेक्शन है इसमें, जिसमें लोग सवाल करेंगे और पीएम का एआई अवतार उन्हें जवाब देगा.”

गाजियाबाद के रहने वाले वनज विद्यान ने कहा, “मैं इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं. इस कार्यक्रम में हमारी थीम ‘भारत को टिकाऊ भविष्य की ओर ले जाना’ था. हमने यहां कई प्रतिस्पर्धा जीतीं. इसके बाद हम यहां तक पहुंच पाए हैं. हमारा टॉपिक था कि हम कूड़े को कैसे टिकाऊ तरीके से इस्तेमाल करें. इसमें हमने एक ऐसा मॉडल विकसित किया जिसमें हम एक 20 रुपए की बोतल को किसी दुकानदार से खरीदें और बाद में फिर उसी बोतल को दुकानदार को वापस कर दें. इससे कूड़े को इकट्ठा करने की समस्या खत्म हो जाएगी. जो कूड़ा है वह सीधे रिसाइकिल हो जाएगा.”

राजस्थान के भरतपुर से आई नंदिनी सिंह ने बताया, “इस कार्यक्रम में हमारी थीम ‘भारत को हम खेलों में और स्वास्थ्य में आगे कैसे ले जाएं’ थी. हमने इसको लेकर काफी तैयारी की है. हमारे पीएम मोदी के लिए मुख्य 3 सुझाव हैं. पहला सुझाव यह है कि ‘राइट टु प्ले’ यानी खेलने के अधिकार को हमारे संविधान में जोड़ा जाए. दूसरा, सोशल कॉरपोरेट रिस्पांसिबिलिटी का जो फंड आता है, उसका कुछ हिस्सा खेलों के लिए फिक्स कर दिया जाए और तीसरा पीपीपी मॉडल है.”

पीएसएम/जीकेटी