नई दिल्ली, 10 जनवरी . राजधानी दिल्ली के प्रगति मैदान में स्थित भारत मंडपम में 10 से 12 जनवरी तक विकसित भारत युवा नेता संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. यह कार्यक्रम देश की युवा पीढ़ी को भारत को आगे ले जाने के लिए अनूठा मंच देने के लिए आयोजित किया जा रहा है.
इस कार्यक्रम के माध्यम से युवा नेताओं को नीति निर्माताओं, राष्ट्रीय और वैश्विक हस्तियों से सीधे जुड़ने का अवसर मिलेगा और उनके विचार देश के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण योगदान देंगे. देश भर के युवा नेताओं ने विकसित भारत के अपने दृष्टिकोण को साझा करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लिया है, जिसमें लगभग 30 लाख युवा शामिल हुए हैं.
इस कार्यक्रम में शामिल हुए दिल्ली के राहुल अरोड़ा ने कहा, “इस मंच पर देश का प्रतिनिधित्व करने का यह एक अद्वितीय अवसर है. 21वीं सदी में भारत के लिए विनिर्माण क्षेत्र अत्यंत महत्वपूर्ण है. साल 2047 तक के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए, मुझे लगता है कि इस मुद्दे पर चर्चा करने का यह सही समय है. विनिर्माण का विकास भारत की आर्थिक प्रगति के लिए आवश्यक है. यह युवा पीढ़ी के लिए एक मजबूत और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.”
सिक्किम से आए दुर्गा प्रसाद भंडारी ने कहा, ” हमें 2047 तक ‘विकसित भारत’ की थीम पर काम करना था. 2047 का विकसित भारत वह होगा, जहां जाति, धर्म और भाषा के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होगा. वहां पर यह भावना होगी कि हम सभी सबसे पहले हिंदुस्तानी हैं. हमारे मन में राष्ट्र प्रेम और राष्ट्रहित की भावना होगी. यही वह भावना होगी, जो हम सभी को एकजुट कर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी. सभी को मिलकर, सामूहिक प्रयासों से एक समृद्ध और सशक्त भारत की ओर बढ़ना चाहिए, जहां हर नागरिक का समग्र विकास हो और सभी को समान अवसर मिले.”
राजस्थान से आए संयम जैन ने कहा, “हमारी टीम की थीम ‘मेकिंग इंडिया ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग पावरहाउस’ है. हम इस दृष्टिकोण से विकसित भारत बनाना चाहते हैं. जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2047 तक भारत की जीडीपी को 30 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है, जिसमें 25 प्रतिशत हिस्सा मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का हो. इसके लिए मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में आने वाली सभी बाधाओं को धीरे-धीरे हल किया जाएगा. युवा पीढ़ी पूरी ऊर्जा और जोश के साथ इस कार्य में जुटेगी, और अगर यह युवा अपना योगदान दे, तो 2047 से पहले ही हम एक विकसित भारत बना सकते हैं और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को आत्मनिर्भर बना सकते हैं. यदि हम मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में किसी अन्य देश पर निर्भर रहते हैं, तो यह आर्थिक दासता के समान होगा. इसलिए हमें आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ना होगा, और इसके लिए मैन्युफैक्चरिंग पर जोर सबसे महत्वपूर्ण कदम है.”
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पीएसएम/जीकेटी