नई दिल्ली, 27 दिसंबर . पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर अर्थशास्त्रियों ने शोक व्यक्त किया. आईएमएफ की उप निदेशक गीता गोपीनाथ ने कहा कि 1991 में वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने जो आर्थिक सुधार शुरू किए, उनसे मुझ जैसे अनगिनत युवा अर्थशास्त्रियों को प्रेरणा मिली.
गीता गोपीनाथ ने एक्स पर कहा, “डॉ. मनमोहन सिंह के 1991 के बजट ने भारत की अर्थव्यवस्था को मुक्त कर दिया. उन्होंने करोड़ों भारतीयों के लिए इस क्षेत्र में संभावनाओं के द्वार खोल दिए. उनके दूरदर्शी सुधारों ने मुझ जैसे अनगिनत युवा अर्थशास्त्रियों को प्रेरित किया. “
प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के सदस्य संजीव सान्याल ने कहा कि उनकी पीढ़ी के भारतीय वित्त मंत्री मनमोहन सिंह और प्रधानमंत्री राव द्वारा 1991 में शुरू किए गए आर्थिक सुधारों की देन हैं.
सान्याल ने कहा, “जैसा कि मैंने पहले कहा है, भारत के लिए बीसवीं सदी के दो सबसे महत्वपूर्ण वर्ष 1947 और 1991 थे – एक राजनीतिक स्वतंत्रता लेकर आया और दूसरा आर्थिक स्वतंत्रता. मनमोहन सिंह को उदारीकरण की घोषणा के लिए हमेशा याद किया जाएगा. “
उद्योगपतियों ने भी मनमोहन सिंह को याद किया. ज्यादातर ने उन्हें याद करते हुए लिखा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने और उद्योग को जकड़ने वाले तत्कालीन लाइसेंस-परमिट राज से बाहर निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
जेएसडब्ल्यू ग्रुप के चेयरमैन और एमडी सज्जन जिंदल ने कहा, “भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत के आर्थिक उदारीकरण के पीछे दूरदर्शी नेता डॉ. मनमोहन सिंह जी के निधन से दुखी हूं. विनम्रता और बुद्धिमत्ता के धनी राजनेता-भारत उनका ऋणी है.”
यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल ने डॉ. सिंह के निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त की और अमेरिका और भारत के बीच संबंधों को मजबूत करने में उनके महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डाला.
यूएसआईबीसी ने दोनों देशों के बीच 2008 के असैन्य परमाणु समझौते और आधुनिक द्विपक्षीय संबंधों को आकार देने वाले आर्थिक सुधारों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए डॉ. सिंह की प्रशंसा की.
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एसकेटी/केआर