रांची, 24 दिसंबर . अनुसूचित क्षेत्रों में जनजातीय समुदायों के अधिकारों की रक्षा से संबंधित विशेष कानून ‘पेसा’ (पंचायत एक्सटेंशन टू शेड्यूल एरिया एक्ट) के प्रावधानों पर रांची में मंगलवार को राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला का आयोजन किया गया.
राज्य सरकार के पंचायती राज विभाग की ओर से आयोजित कार्यशाला में अध्यक्षीय संबोधन करते हुए भारत सरकार के पंचायती राज मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज ने कहा कि जनजातीय समुदाय के सशक्तिकरण की दिशा में पेसा कानून मील का पत्थर है. यह जल, जंगल और जमीन पर जनजातीय समुदाय का अधिकार स्थापित करता है. पेसा कानून लागू हुए आज 28 वर्ष पूरे हुए हैं. जनजातीय क्षेत्र में इसे पूरी तरह से लागू करना हम सबकी जिम्मेवारी है.
विवेक भारद्वाज ने कहा कि झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य इस कानून को लागू करने की दिशा में पहल करेंगे, इसकी उम्मीद की जानी चाहिए. जनजातीय समुदाय के रीति-रिवाज, परंपरा और मान्यताओं को लिपिबद्ध करते हुए इसे सही स्वरूप में धरातल पर उतारा जाना चाहिए.
उन्होंने उम्मीद जताई कि झारखंड में 26 जनवरी, 2025 तक इस दिशा में पहल होगी और 15 अगस्त को ग्राम सभाओं में इससे संबंधित लेखा-जोखा पेश करते हुए इसे मान्यता दी जाएगी.
झारखंड के पंचायती राज विभाग की निदेशक निशा उरांव ने कहा कि पेसा कानून को उसकी मूल भावना के अनुरूप झारखंड में लागू करने की दिशा में सरकार गंभीर है. इसकी नियमावली को झारखंड के संदर्भ में तैयार करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. पेसा अधिनियम 24 दिसंबर 1996 को लागू हुआ था.
कार्यशाला में पेसा के प्रभाव और इसकी महत्ता को दर्शाने वाली एक लघु फिल्म और गीत भी प्रस्तुत किए गए. उल्लेखनीय है कि पंचायती राज मंत्रालय के निर्देश पर ‘पेसा’ के अंतर्गत आने वाले दस राज्यों, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और तेलंगाना, में इस कानून के बारे में जागरूकता के लिए कार्यक्रम आयोजित किए गए.
–
एसएनसी/एबीएम