भारत 6जी की ओर वैश्विक दौड़ का नेतृत्व करने के लिए तैयार : सीओएआई

नई दिल्ली, 23 दिसंबर . सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने सोमवार को कहा कि भारत 6जी की ओर वैश्विक दौड़ का नेतृत्व करने के लिए तैयार है, जिसमें तकनीकी नेतृत्व को आगे बढ़ाने का एक बेहतरीन अवसर है.

भारत 6जी विजन जैसे चल रहे प्रयासों के साथ, सरकार का लक्ष्य देश से 10 प्रतिशत 6जी पेटेंट बनाना है और ‘6जी इकोसिस्टम पर रिसर्च को आगे बढ़ाना’ पर 470 प्रपोजल का मूल्यांकन कर रही है.

सीओएआई के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. एसपी कोचर ने कहा, “टेलीकॉम में डिजिटल इनोवेशन की तीव्र गति को कस्टमर सर्विस, ऑपरेशनल सपोर्ट, नेटवर्क ऑप्टिमाइजेशन और ऑटोमेशन, प्रीडिक्टिव मेंटेनेंस, फ्रॉड प्रिवेंशन जैसे एरिया में एआई और जेनएआई टेक्नोलॉजी को बड़े स्तर पर अपनाए जाने के साथ देखा जा सकता है.”

केपीएमजी इंडिया की एक लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, “भारत में टेक्नोलॉजी, मीडिया और दूरसंचार (टीएमटी) क्षेत्र के 55 प्रतिशत संगठनों ने एआई को पूरी तरह से इंटीग्रेट कर लिया है, जबकि 37 प्रतिशत स्केलिंग स्टेज में हैं.”

सीओएआई ने आगे कहा, “1.2 बिलियन टेलीकॉम सब्सक्राइबर बेस के साथ, इस साल अक्टूबर तक प्रति वायरलेस डेटा सब्सक्राइबर औसत मासिक डेटा खपत 21.30 जीबी तक पहुंच गई है.”

कोचर ने कहा, “अक्टूबर तक, 4,60,592 से अधिक 5जी बीटीएस साइटें स्थापित की गईं, जिससे 5जी यूजर्स आधार में उछाल आया, जो 125 मिलियन को पार कर गया और 2026 तक 350 मिलियन तक पहुंचने का अनुमान है.”

फिक्स्ड वायरलेस एक्सेस भारत में 5जी इस्तेमाल के एक प्रमुख मामले के रूप में उभरा, जिसके लॉन्च के एक साल के भीतर कनेक्शन लगभग 3 मिलियन तक पहुंच गए.

जीडीपी में एक प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में, यह क्षेत्र प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 4 मिलियन से अधिक लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान कर रहा है.

वैश्विक निकाय जीएसएमए का अनुमान है कि भारत में 5जी में अपेक्षित ट्रैफिक वृद्धि को पूरा करने के लिए 2 गीगाहर्ट्ज मिड-बैंड स्पेक्ट्रम की आवश्यकता होगी.

सीओएआई ने कहा, “6 गीगाहर्ट्ज आखिरी बचा हुआ मिड-बैंड स्पेक्ट्रम है, जहां मोबाइल नेटवर्क के साथ शहर-व्यापी कवरेज प्रदान किया जा सकता है, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि इस बैंड को आईएमटी को आवंटित किया जाए.”

यह भी कहा गया, “इसके अलावा, 6 गीगाहर्ट्ज बैंड पर काम करने वाले वाई-फाई 6ई वायरलेस राउटर को भारत में उपभोक्ताओं को ई-कॉमर्स वेबसाइटों के जरिए अवैध रूप से बेचे जाने की एक और बढ़ती चिंता है, हालांकि दूरसंचार विभाग ने इसके इस्तेमाल के संबंध में निर्णय नहीं लिया है.”

एसकेटी/एबीएम