नई दिल्ली, 19 दिसंबर . टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) ने गुरुवार को कहा कि सभी कमर्शियल एसएमएस को ट्रेस करने के लिए एक फ्रेमवर्क बना लिया गया है. इसके जरिए आसानी एक सुरक्षित और स्पैम-फ्री मैसेजिंग इकोसिस्टम तैयार करने में मदद मिलेगी.
इस फ्रेमवर्क के तहत सभी प्रमुख संस्थाओं (पीई) जैसे कि व्यवसाय, बैंक और सरकारी एजेंसियों के साथ-साथ उनके टेलीमार्केटर्स (टीएम) को ब्लॉकचेन-आधारित डिस्ट्रीब्यूटिड लेजर टेक्नोलॉजी (डीएलटी) के माध्यम से अपने एसएमएस ट्रांसमिशन पाथ की घोषणा करनी होगी और इसके साथ ही पंजीकरण करना आवश्यक था.
ट्राई ने कहा कि चेन डिक्लेरेशन और बाइडिंग प्रोसेस से हर मैसेज को एंडटूएंड ट्रेस करना संभव होगा. इससे आसानी से डेटा सुरक्षा से समझौता या एसएमएस वितरण में देरी किए बिना पता लगा सकते हैं कि मैसेज कहां से भेजा गया है और किसे डिलीवर हुआ है.
इसे कार्यान्वित करने के लिए ट्राई ने 20 अगस्त 2024 को एक निर्देश जारी किया, जिसमें 1 नवंबर 2024 से सभी वाणिज्यिक संदेशों की ट्रेसबिलिटी को अनिवार्य कर दिया गया.
ट्राई ने कार्यान्वयन में शामिल गतिविधियों को समझते हुए अनुपालन की समयसीमा को पहले 30 नवंबर और बाद में 10 दिसंबर तक बढ़ा दिया, जिससे बैंकिंग, बीमा, स्वास्थ्य सेवा और रियल एस्टेट जैसे विभिन्न क्षेत्रों में लगभग 1.13 लाख सक्रिय पीई को सुचारू रूप से शामिल किया जा सके.
ट्राई ने जागरूकता को बढ़ावा देने और बाइडिंग प्रयासों में तेजी लाने के लिए आरबीआई, सेबी, आईआरडीएआई, पीएफआरडीए जैसे प्रमुख क्षेत्रीय नियामकों और एनआईसी, सीडैक जैसी सरकारी एजेंसियों और राज्य सरकारों के साथ मिलकर सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाया.
ट्राई के नेतृत्व में इन संयुक्त प्रयासों के परिणामस्वरूप सभी प्रमुख पीई ने अब एक्सेस प्रदाताओं के साथ अपनी एसएमएस ट्रांसमिशन पाथ को पंजीकृत कर लिया है.
ट्राई ने बताया कि 11 दिसंबर से अपंजीकृत पथों के माध्यम से भेजे गए एसएमएस ट्रैफिक को अस्वीकार कर दिया जा रहा है.
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