साहित्य अकादमी पुरस्कार 2024 का ऐलान, हिंदी की मशहूर कवयित्री गगन गिल को मिलेगा सम्मान

नई दिल्ली, 18 दिसंबर . साहित्य अकादमी ने 21 भारतीय भाषाओं के लिए पुरस्कारों का ऐलान कर दिया है. हिंदी की मशहूर कवयित्री गगन गिल को इस वर्ष के साहित्य अकादमी पुरस्कार के लिए चुना गया है. उन्हें यह पुरस्कार “मैं जब तक आई बाहर” के लिए दिया जाएगा.

साहित्य अकादमी ने पत्र के माध्यम से बताया, “साहित्य अकादमी ने बुधवार को अपने प्रतिष्ठित वार्षिक साहित्य अकादमी पुरस्कार 2024 की घोषणा कर दी है. इन पुरस्कारों में आठ कविता-संग्रह, तीन उपन्यास, दो कहानी संग्रह, तीन निबंध, तीन साहित्यिक आलोचना, एक नाटक और एक शोध की पुस्तकें शामिल हैं. बाड़ला, डोगरी और उर्दू में पुरस्कार की घोषणा बाद में की जाएगी.”

पत्र में कहा गया, “पुरस्कारों की अनुशंसा 21 भारतीय भाषाओं की निर्णायक समितियों द्वारा की गई तथा साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक की अध्यक्षता में आयोजित अकादमी के कार्यकारी मंडल की बैठक में आज इन्हें अनुमोदित किया गया.”

कविता-संग्रह : समीर तांती (असमिया), दिलीप झावेरी (गुजराती), गगन गिल (हिंदी), के. जयकुमार (मलयालम), हाओबम सत्यवती देवी (मणिपुरी), पॉल कौर (पंजाबी), मुकुट मणिराज (राजस्थानी), दीपक कुमार शर्मा (संस्कृत).

उपन्यास : अरन राजा (बोडो), ईस्टरिन किरे (अंग्रेजी), सोहन कौल (कश्मीरी).

कहानी-संग्रह : युवा बराल (नेपाली), हूंदराज बलवाणी (सिंधी)

निबंध : मुकेश थली (कोंकणी), महेंद्र मलंगिया (मैथिली), वैष्णव चरण सामल (ओड़िआ).

साहित्यिक : के.वी. नारायण (कन्नड), सुधीर रसाल (मराठी). पेनुगोंडा लक्ष्मीनारायण (तेलुगु).

आलोचना : महेश्वर सोरेन (सताली).

नाटक शोध : ए. आर. वेंकटचलपति (तमिल).

साहित्य अकादमी ने बताया, “इन पुस्तकों को संबंधित भाषा के त्रिसदस्यीय निर्णायक मंडल ने निर्धारित चयन प्रक्रिया का पालन करते हुए पुरस्कार के लिए चुना है. नियमानुसार कार्यकारी मंडल ने निर्णायकों के बहुमत अथवा सर्वसम्मति के आधार पर चयनित पुस्तकों के लिए पुरस्कारों की घोषणा की है. ये पुरस्कार, पुरस्कार-वर्ष पिछले पांच वर्ष (यानी 1 जनवरी 2018 से 31 दिसंबर 2022 के दौरान) पहली बार प्रकाशित पुस्तकों पर दिए गए हैं. पुरस्कार स्वरूप एक उत्कीर्ण ताम्रफलक, शॉल और एक लाख रुपये की राशि पुरस्कृत लेखकों को 8 मार्च 2025 को आयोजित एक भव्य समारोह में प्रदान किए जाएंगे.”

बता दें कि इन पुस्तकों पर साहित्य अकादमी की तीन सदस्यीय जूरी ने विचार किया, जिसमें प्रोफेसर रामवचन राय, मृदुला गर्ग और डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय शामिल थे.

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