नई दिल्ली, दिसंबर 17 . भारत की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता में चालू वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2024-25) की अप्रैल-नवंबर अवधि में 15 गीगावाट का इजाफा हुआ है. यह पिछले साल समान अवधि में हुई 7.54 गीगावाट की बढ़ोतरी से दोगुना है. यह जानकारी केंद्रीय न्यू और रिन्यूएबल एनर्जी मंत्री, प्रल्हाद जोशी ने मंगलवार को दी.
सीआईआई अंतरराष्ट्रीय एनर्जी कॉन्फ्रेंस एंड एग्जीबिशन (आईईसीई) को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा क्षेत्र में भारत की कुल स्थापित क्षमता 214 गीगावाट तक पहुंच गई है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 14 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि को दर्शाता है.
उन्होंने कहा कि अकेले नवंबर 2024 में भारत की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता 2.3 गीगावाट बढ़ी है, जो कि नवंबर 2023 में हुई 566 मेगावाट की क्षमता विस्तार से चार गुना है.
समारोह में जोशी ने 2030 तक भारत सरकार की 500 गीगावाट की गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा क्षमता विस्तार करने के लक्ष्य को रेखांकित किया.
रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में भारत की मजबूत वृद्धि पर प्रकाश डालते हुए जोशी ने कहा कि भारत न केवल ऊर्जा क्रांति का साक्षी बन रहा है, बल्कि विश्व की रिन्यूएबल एनर्जी राजधानी भी बन रहा है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े कोयला भंडार में से एक होने के बावजूद देश का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन सबसे कम है, जो वैश्विक औसत का एक तिहाई है.
केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत एकमात्र जी-20 राष्ट्र है, जिसने यह सुनिश्चित किया कि 2015 में पेरिस जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन में तय किए गए सतत विकास लक्ष्यों को समय सीमा से पहले ही पूरा कर लिया गया है.
केंद्रीय मंत्री ने इस कार्यक्रम में सीआईआई-ईवाई एनर्जी ट्रांजिशन इन्वेस्टमेंट मॉनिटर रिपोर्ट भी लॉन्च की. सम्मेलन का विषय “ऊर्जा परिवर्तन पर वैश्विक संवाद” था, जिसमें उद्योग जगत के नेताओं, नीति निर्माताओं और विशेषज्ञों ने भाग लिया.
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एबीएस/