उदित नारायण समेत कई सिंगरों ने तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन पर दुख जताया, कहा- ‘हिंदुस्तान की शान थे’

मुंबई, 16 दिसंबर . बॉलीवुड सिंगर उदित नारायण, शंकर महादेवन समेत कई सिंगरों ने विश्व विख्यात तबला वादक, ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन पर सोमवार को दुख जताया.

सिंगर उदित नारायण ने कहा कि बड़े अफसोस की बात है कि विश्व विख्यात तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन हमारे बीच नहीं रहे. जाकिर हुसैन हिंदुस्तान की शान थे. उन्होंने पूरी दुनिया में एक छाप छोड़ी है. उन्होंने ऐसा काम किया है, जो हमारे लिए मुश्किल है. ऐसे फनकार का जाना, ऐसे कलाकारों का जाना, हमारे देश और दुनिया के लिए बहुत बड़ी क्षति है. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे.

भारतीय फिल्म और टेलीविजन निर्देशक संघ के अध्यक्ष अशोक पंडित ने उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन पर दुख जताया. उन्होंने से बात करते हुए कहा कि हमारे देश के नहीं बल्कि पूरी दुनिया के रिदम के बादशाह जाकिर हुसैन हमारे बीच नहीं रहे. लेकिन इस बात का पूरा यकीन है, उनकी रिदम, उनकी आवाज, उनके तबले कि थाप हमारे कानों में हमारे दिलों में गूंजती रहेगी और उनके गुजरने का दुख पूरी दुनिया को है. हमारे देश और पूरी म्यूजिक इंडस्ट्री के लिए बहुत दुख की बात है. हम उनके परिवार को शोक प्रकट करते हैं. जाकिर हुसैन जैसा कलाकार हमें दोबारा नहीं मिलेगा.

उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन पर शंकर महादेवन ने से बातचीत के दौरान कहा कि आज बहुत ही दुखद दिवस है. जिसमें मेरे पास शब्द नहीं हैं कहने के लिए कि क्या चल रहा है मेरे अंदर, मेरे गुरु, मेरे मेंटर, मेरे गाइडिंग लाइफ इंस्पिरेशन इस दुनिया में नहीं रहे. उन्होंने मेरी जिंदगी में इतनी खुशियां दीं, इतना म्यूजिकली मुझे लैस किया कि मैं अपने आपको बहुत खुशनसीब समझता हूं. उनके जैसे आर्टिस्ट ना थे, ना हैं और ना कभी रहेंगे. तबला इसके बाद आपको वैसा कभी नहीं सुनाई देगा. मैंने उनके साथ 25 साल परफॉर्म किया है. मैं यही कहूंगा कि उस्ताद जाकिर हुसैन हमको आशीर्वाद देते रहें और उनका आगे का जो सफर है वह पीसफुल हो, इसके लिए मैं प्रार्थना करता हूं.

बॉलीवुड सिंगर सोमा घोष ने जाकिर हुसैन के निधन पर दुख जताया. उन्होंने से बातचीत करते हुए कहा कि जाकिर हुसैन तबला के पर्यायवाची थे. वे तबला को सोलो परफॉर्मेंस का दर्जा देने वाले पहले कलाकार थे. उन्होंने तबले को दुनिया में प्रसिद्ध किया. जिस तरह से उन्होंने अपनी प्रस्तुति को मोड़ा और जिस अंदाज़ में उन्होंने उसे प्रस्तुत किया, वह अद्भुत था. शायद ही कोई और कभी ऐसा कर पाए. मुझे याद है कि उनके साथ एक कार्यक्रम हुआ था, जो नेहरू सेंटर में था, और मैं आज भी उस दिन को बहुत याद कर रही हूं. उस दिन लगभग 200 लोग नेहरू सेंटर के बाहर खड़े थे. उन्होंने आगे कहा कि इस संगीत का एक पिलर चला गया है, दोबारा नहीं आएगा. कोई उसको भर नहीं सकेगा. मैं दिस से उनको नम करती हूं.

बता दें कि दिग्गज तबला वादक जाकिर हुसैन (73) का सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में निधन हो गया. छह दशकों से जो तबले की थाप हम सुन रहे थे, वो अब नहीं सुनाई देगी.

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