महायुति सरकार की प्राथमिकता विकास नहीं, सत्ता के हिस्से को लेकर चल रही प्रतिस्पर्धा : चरण सिंह सप्रा

मुंबई, 14 दिसंबर . महाराष्ट्र में महायुति सरकार के गठन के बाद भी राजनीतिक हलचल थमने का नाम ही नहीं ले रही है. चुनावी नतीजों के 21 दिन और नए मुख्यमंत्री तथा दोनों उपमुख्यमंत्रियों के शपथ ग्रहण के 10 दिन के बाद भी मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो सका है. मंत्रिमंडल विस्तार में हो रही देरी पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता चरण सिंह सप्रा ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की. उन्होंने कहा कि यह स्थिति न केवल शर्मनाक है, बल्कि इससे लोकतंत्र के मूल्यों का भी मजाक उड़ाया जा रहा है.

चरण सिंह सप्रा ने शनिवार को एक वीडियो संदेश जारी कर कहा कि महायुति सरकार के नेतृत्व में राज्य की जनता की चिंता करने की बजाय सरकार के घटक दल एक-दूसरे से मलाईदार पदों के लिए संघर्ष कर रही है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार के बीच इस बात को लेकर लड़ाई है कि किसे कितनी मलाईदार जिम्मेदारी मिलेगी. महाराष्ट्र में चुनावी नतीजों के 21 दिन बाद भी मंत्रिमंडल का गठन नहीं हो सका है, मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्रियों की शपथ को भी 10 दिन बीत चुके हैं. ऐसे में राज्य की जनता से इन नेताओं का कोई लेना-देना नहीं दिख रहा है.

उन्होंने कहा कि यह स्थिति बेहद चिंताजनक है और यह दिखाता है कि महायुति सरकार की प्राथमिकता राज्य की जनता या राज्य के विकास की नहीं, बल्कि सत्ता के हिस्से को लेकर आपसी प्रतिस्पर्धा चल रही है. महाराष्ट्र के मंत्रिमंडल के गठन में हो रही देरी ने सरकारी कार्यों को रोक दिया है, जिससे राज्य की जनता को नुकसान हो रहा है. मलाईदार खातों के लिए चल रही होड़ ने महायुति को अंधा बना दिया है और यह बेहद आपत्तिजनक है. राज्य के विकास और जनता की भलाई की बजाय, सत्ता के हिस्सों के लिए नेता आपस में उलझे हुए हैं.

उन्होंने आगे कहा कि यह स्थिति लोकतांत्रिक प्रणाली का मजाक उड़ाती है और राज्य की जनता के प्रति इन नेताओं की जिम्मेदारी को झुठलाती है. उन्होंने महायुति सरकार से सवाल किया कि कब तक यह स्थिति बनी रहेगी और राज्य की जनता को एक सशक्त और सक्रिय सरकार का इंतजार रहेगा.

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