मंदिर-मस्जिद विवाद: सुप्रीम कोर्ट के आदेश से खुश नहीं ज्ञानवापी मामले के हिंदू पक्षकार

वाराणसी, 14 दिसंबर . हाल ही में उच्चतम न्यायालय में पूजा स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम, 1991 के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सीजेआई ने टिप्पणी किया कि इस मामले की अगली सुनवाई तक मंदिर-मस्जिद से जुड़े किसी भी नए मुकदमे को दर्ज नहीं किया जाएगा. इस पर ज्ञानवापी मामले से जुड़े लोग खुश नहीं हैं.

ज्ञानवापी मामले की याचिकाकर्ता मंजू व्यास ने इस पर निराशा जताते हुए कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने 4 हफ्ते की जो रोक लगाई है, इसके बाद हम अपने वकील विष्णु शंकर जैन से बातकर इस पर आगे विचार करेंगे. इससे हम निराश नहीं होंगे. सच्चाई कभी हारती नहीं है. सच्चाई की हमेशा जीत होती है. यह तो छोटी सी लड़ाई है, पूरी लड़ाई अभी बाकी है.”

एक अन्य याचिकाकर्ता सीता साहू ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से हम लोगों में उदासी तो है. लेकिन, हमारे जो अधिवक्ता हैं, विष्णु शंकर जैन और यहां सिविल वकील सुभाष त्रिपाठी उन लोगों से हम लोग बात करके आगे का रास्ता निकालेंगे.”

हिंदू पक्ष के अधिवक्ता सुभाष त्रिपाठी ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिया है कि चार सप्ताह तक मुकदमें नहीं दाखिल होंगे या दाखिल होते भी हैं तो निचली अदालत उस पर कोई आदेश नहीं पारित करेगी. इस पर आपत्तियां हैं. हम उसको दर्ज कराएंगे. उस फैसले का विरोध करेंगे. सुप्रीम कोर्ट में उसे 4 सप्ताह के लिए लागू किया गया है. हमारी यूनिट के जो हेड हैं, हरिशंकर जैन और विष्णु शंकर जैन उनसे परामर्श के बाद हम आगे की कार्रवाई करेंगे. अगर आदेश हमारे लिए गलत है तो हम उसका विरोध करेंगे.”

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की थी. इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक इस मामले में केंद्र का जवाब नहीं आता, तब तक मामले की पूरी सुनवाई संभव नहीं है. साथ ही, कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि सुनवाई के दौरान किसी नए मुकदमे को दर्ज नहीं किया जा सकता.

पीएसएम/जीकेटी