न्यूयॉर्क, 14 दिसंबर . वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि इन्फ्लूएंजा या फ्लू वायरस रेफ्रिजरेटर (फ्रिज) में रखे कच्चे दूध में पांच दिनों तक जिंदा रहता है.
स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय का यह नया अध्ययन ऐसे समय में आया है जब डेयरी मवेशियों में बर्ड फ्लू के प्रकोप ने एक नई महामारी की संभावना के बारे में चिंताएं पैदा कर दी हैं.
स्टैनफोर्ड डोएर स्कूल ऑफ सस्टेनेबिलिटी और स्टैनफोर्ड स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग की वरिष्ठ लेखिका एलेक्जेंड्रिया बोहम ने कहा, “यह कार्य कच्चे दूध के सेवन से एवियन इन्फ्लूएंजा ट्रांसमिशन के संभावित जोखिम और मिल्क पाश्चराइजेशन के महत्व को उजागर करता है.”
कच्चे दूध के समर्थकों का दावा है कि इसमें पाश्चराइज्ड मिल्क (दूध) की तुलना में अधिक लाभकारी पोषक तत्व, एंजाइम और प्रोबायोटिक्स होते हैं. यह प्रतिरक्षा और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संबंधी रोगों को बढ़ावा दे सकता है.
यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने कच्चे दूध को 200 से अधिक बीमारियों से जोड़ा है. चेतावनी दी है कि कच्चे दूध में मौजूद ई. कोली और साल्मोनेला जैसे कीटाणु, विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों के लिए ‘गंभीर’ स्वास्थ्य जोखिम पैदा करते हैं.
जनरल एनवायरमेंटल साइंस एंड टेक्नोलॉजी लेटर्स नाम की पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में सामान्य रेफ्रिजरेशन तापमान पर कच्चे गाय के दूध में मानव इन्फ्लूएंजा वायरस के एक प्रकार के बने रहने का पता लगाया गया. देखा कि एच1एन1 पीआर8 नाम का फ्लू वायरस दूध में जिंदा रहा और पांच दिनों तक संक्रामक बना रहा.
अध्ययन के सह-प्रमुख लेखक मेंगयांग झांग ने कहा, “कच्चे दूध में संक्रामक इन्फ्लूएंजा वायरस का कई दिनों तक बने रहना संभावित संचरण मार्गों के बारे में चिंताएं पैदा करता है. यह वायरस डेयरी सुविधाओं के भीतर सतहों और अन्य पर्यावरणीय सामग्रियों को दूषित कर सकता है, जिससे जानवरों और मनुष्यों के लिए जोखिम पैदा हो सकता है.”
विशेष रूप से शोधकर्ताओं ने पाया कि फ्लू वायरस का आरएनए अणु, जो आनुवंशिक जानकारी रखते हैं और स्वास्थ्य के लिए खतरा नहीं होते, कच्चे दूध में कम से कम 57 दिनों तक मौजूद रहे.
तुलनात्मक रूप से, पाश्चराइजेशन ने दूध में संक्रामक इन्फ्लूएंजा को पूरी तरह से नष्ट कर दिया और वायरल आरएनए की मात्रा को लगभग 90 प्रतिशत तक कम कर दिया, लेकिन आरएनए को पूरी तरह से समाप्त नहीं किया.
अध्ययन के लेखकों के अनुसार, इन निष्कर्षों से यह स्पष्ट होता है कि निगरानी प्रणालियों को सुधारने की आवश्यकता है, खासकर तब जब बर्ड फ्लू मवेशियों के बीच फैलता जा रहा है.
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