सड़क हादसे के घायलों के लिए केंद्र की मुफ्त इलाज योजना को लोगों ने सराहा

नई दिल्ली, 13 दिसंबर . केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को सड़क दुर्घटना के शिकार लोगों को मुफ्त इलाज की सौगात दी. उन्होंने लोकसभा में बताया कि देश के किसी भी नागरिक के सड़क हादसे में घायल होने पर उसके इलाज का खर्च केंद्र सरकार उठाएगी. भाजपा नेताओं समेत आम नागरिकों ने भी उनके इस कदम की सराहना की है.

नितिन गडकरी ने लोकसभा को बताया, “लोगों के उपचार के लिए कैशलेस योजना लाई गई और उत्तर प्रदेश में इस पायलट परियोजना की शुरुआत हो रही है. इसके बाद पूरे देश में लागू की जाएगी.” उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं को लेकर देश का रिकॉर्ड बहुत ‘गंदा’ है. इस वजह से उन्हें विश्व सम्मेलनों में मुंह छुपाना पड़ता है.

भाजपा सांसद संजय जायसवाल ने सरकार के इस कदम की तारीफ करते हुए कहा, “यह बहुत अच्छी योजना है. दुर्घटनाएं बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण होती हैं. नितिन गडकरी ही सदन में इस बात को स्वीकार कर सकते हैं कि वह इस कार्य में सफल नहीं हो पाए हैं. यह इस बात को दर्शाता है कि गडकरी इस कार्य को लेकर कितने संवेदनशील हैं.”

आम जनता ने भी इसकी तारीफ की है. लखनऊ के सिधौली के विजय श्रीवास्तव ने कहा, “यह सरकार बहुत अच्छी है और वह अच्छा काम करने जा रही है. पहले की सरकारों ने कभी ऐसे कदम नहीं उठाए.”

सीतापुर के पप्पू जोशी ने कहा, “गरीब और अमीर हर वर्ग के लोग दुर्घटना के शिकार होते हैं. ऐसे में अगर कोई दुर्घटना का शिकार हो जाता है और उसका मुफ्त में इलाज होता है, तो इससे अच्छी योजना कोई नहीं हो सकती.”

लखनऊ के अरविंद सोनकर ने कहा, “यह बहुत ही अच्छी योजना है, जिससे सभी का भला होगा. सरकार को ऐसी योजनाएं और लानी चाहिए. पहले की सरकारों ने ऐसी चीजों का बिल्कुल ध्यान नहीं दिया.”

लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए नितिन गडकरी ने बताया कि उनके मंत्रालय के तमाम प्रयासों के बावजूद सड़क हादसों में कमी नहीं आई, बल्कि इसमें वृद्धि हो गई. उन्होंने कहा, “जब तक समाज का सहयोग नहीं मिलेगा, मानवीय व्यवहार नहीं बदलेगा और कानून का डर नहीं होगा, तब तक सड़क हादसों पर अंकुश नहीं लगेगा.” उनके अनुसार, देश में सड़क हादसों की संख्या लगातार बढ़ रही है और हर साल 1.7 लाख से अधिक लोगों की मौत ऐसी दुर्घटनाओं में हो जाती है. इतने लोग न लड़ाई में मरते हैं, न कोविड में मरे और न ही दंगों में मरते हैं.”

एससीएच/एकेजे