काबुल, 12 दिसंबर, . तालिबान के शरणार्थी मंत्री खलील हक्कानी की बुधवार को काबुल में उनके मंत्रालय के अंदर एक आत्मघाती बम विस्फोट में मौत हो गई. बताया जा रहा है कि हक्कानी के दफ्तर से बाहर निकलते समय यह विस्फोट हुआ और इसमें छह अन्य लोग भी मारे गए. अफगान मीडिया की कुछ रिपोट्स में उनकी हत्या के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार बताया जा रहा है.
अफगानिस्तान की खामा प्रेस न्यूज एजेंसी ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि घातक आत्मघाती हमला संभवतः पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) का काम है.
एजेंसी ने तालिबान के खुफिया विभाग से जुड़े अल-मर्साद नामक एक मीडिया आउटलेट के हवाले से यह दावा किया.
रिपोर्ट के मुताबिक “हमले से पहले पाकिस्तानी सेना से जुड़े अकाउंट्स से धमकी भरी पोस्ट और इसकी प्रकृति के आधार पर, इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि इसके लिए आईएसआईएस-खोरासन (आईएसआईएस-के) जिम्मेदार है.”
इसमें बताया गया कि अल-मर्साद ने ‘ईगल आई’ नामक एक यूजर अकाउंट का जिक्र किया. इसने तालिबानी मंत्री पर घातक हमले से कुछ घंटे पहले एक मैसेज पोस्ट किया, जिसमें कहा गया, ‘एक और काफिला निकट है’ और विस्फोट के तुरंत बाद पोस्ट को हटा दिया गया. इस अकाउंट को पाकिस्तानी सेना से जुड़ा बताया गया है.
इस हमले की जिसम्मेदारी आईएसआईएस-के ने ली है.
रिपोर्ट के मुताबिक बुधवार (11 दिसंबर) की रात को ग्रुप ने अपने टेलीग्राम चैनल पर एक बयान जारी किया, जिसमें हक्कानी पर हमले में अपनी भूमिका को स्वीकार किया गया. आईएसआईएस-खोरासन के बयान में यह भी उल्लेख किया गया है कि खलील-उर-रहमान हक्कानी के अलावा, हमले में कई अन्य व्यक्ति मारे गए.
इस बीच, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने आत्मघाती हमले की निंदा की. वहीं पाकिस्तानी डिप्टी पीएम और विदेश मंत्री इशाक डार ने एक्स पर एक पोस्ट में हमले में हुई मौतों और जानमाल के नुकसान पर अपनी संवेदना व्यक्त की. उन्होंने कहा, “पाकिस्तान आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की स्पष्ट रूप से निंदा करता है.”
हक्कानी अफगान शरणार्थियों के पुनर्वास की देखरेख की जिम्मेदारी संभाल रहे जो मुख्य रूप से पड़ोसी पाकिस्तान और ईरान से वापस भेजे जा रहे थे.
पिछले दिनों उन्होंने शरणार्थियों के मुद्दे पर पाकिस्तानी सरकार के रवैय की आलोचना की थी.
टोलो न्यूज के मुताबिक 8 अक्टूबर को हक्कानी ने काबुल में एक समारोह के दौरान अफगान शरणार्थियों के साथ दुर्व्यवहार के लिए देशों, खासकर पड़ोसी देशों की आलोचना की. उन्होंने कहा कि देश विभिन्न बहाने बनाकर अफगान नागरिकों के साथ दुर्व्यवहार कर रहे हैं.
एक सौर ऊर्जा परियोजना के उद्घाटन के अवसर पर बोलते हुए हक्कानी ने कहा कि अफगान शरणार्थी किसी भी देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करते हैं और पड़ोसी देशों को अफगान शरणार्थियों को निकालना बंद कर देना चाहिए.
हक्कानी ने कहा, “हम सभी पड़ोसी देशों से हमारे शरणार्थियों के प्रति दया दिखाने की अपील करते हैं. उनसे संबंधित कोई भी मुद्दा अंतरराष्ट्रीय समुदाय की जिम्मेदारी है. शरणार्थी किसी भी देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करते हैं और उन्होंने ऐसा कभी नहीं किया है. उन्हें और समय दिया जाना चाहिए.”
कभी पाकिस्तान तालिबान का बड़ा समर्थक था लेकिन अगस्त 2019 में तालिबान के काबुल की सत्ता हथियाने के बाद दोनों के बीच रिश्ते बिगड़ने लगे. अफ़गानिस्तान-पाकिस्तान तनाव कई मुद्दों को लेकर पैदा हुआ है, जिसमें अफ़गान संघर्ष और पाकिस्तान में अफगान शरणार्थी, जल-बंटवारे के अधिकार जैसे मुद्दे शामिल है.
इस्लामाबाद तालिबान पर आरोप लगाता रहा है कि वह अफगानी जमीन पर उन आतंकियों को पनाह दे रहा है जो पाकिस्तान में हिंसक गतिविधियों को अंजाम देते हैं. काबुल ने इस आरोप से इनका किया है. तालिबान के नेतृत्व वाली अफगान सरकार ने पाकिस्तान पर अफगानिस्तान और चीन के बीच संबंधों को कमजौर करने और पड़ोसी देशों के बीच कलह पैदा करने का भी आरोप लगाया है.
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एमके/