न्यायालय सर्वोपरि है, इनका निर्णय सर्वमान्य है : दिनेश शर्मा

नई दिल्ली, 12 दिसंबर ( ). प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991 की संवैधानिक वैधता को लेकर तमाम तरह के सवाल उठ रहे हैं. इन सबके बीच भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्य सभा सांसद दिनेश शर्मा ने गुरुवार को कहा कि न्यायालय सर्वोपरि है जो भी निर्णय दिया जाएगा वो सर्वमान्य होगा.

उन्होंने कहा, “पूजा स्थल के बारे में न्यायालयों की कई बार टिप्पणियां आई हैं. उन्होंने जो पुरातात्विक संरक्षित इमारतें हैं, जिन पर कोई काम नहीं होना चाहिए, उनके बारे में कभी किसी प्रकार का रोक नहीं लगाया. न्यायालय सर्वोपरि है, जो निर्णय देता है, वही सबको मान्य होता है और मैं समझता हूं कि इस संदर्भ में कई बार न्यायालय के विस्तृत निर्णय आए हैं, जिनको आज की स्थिति में भी संदर्भ के रूप में देखा जाएगा. मुझे लगता है कि न्यायालय उन पिछले टिप्पणियों और निर्णयों को ध्यान में रखेगा.”

उन्होंने कांग्रेस के नेताओं को अल्पज्ञानी बताया. कहा, “यह लोग तथाकथित नेता हैं, जिनको टिप्पणियों का विश्लेषण भी नहीं आता, ये किसने कब, किस संदर्भ में क्या कहा, इसका विचार किए बिना बस शोर मचाते रहते हैं. जैसे किसी ने कुछ बोला, तो सब चिल्लाने लगते हैं, “कौवा ले गया, कौवा ले गया”, बिना किसी संदर्भ के ये लोग हल्ला करने लग जाते हैं. यह विपक्ष की विडंबना है कि वह कांग्रेस के षड्यंत्र में फंस जाता है. विपक्ष के अपने दल अलग-अलग हैं, लेकिन उनमें अपनी अलग सोच करने की शक्ति मुझे इस सत्र में दिखाई नहीं दी. कांग्रेस का षड्यंत्र यही है कि वह सोरोस के मुद्दे को किसी भी तरीके से कमजोर करने की कोशिश कर रही है. इसके लिए वे तरह-तरह के षड्यंत्र रचते हैं.”

उन्होंने जगदीप धनखड़ के बारे में कहा, “धनखड़ जी का जो व्यक्तित्व है, वह एक किसान पुत्र का व्यक्तित्व है, जो किसानों के लिए समर्पित है. वह नीचे से उठकर आए हैं. उनकी विडंबना यही है कि वह हमेशा विनम्र रहते हैं. हर किसी से नमस्ते करके मिलते हैं, और फिर उनसे इस प्रकार की बात करते हैं, जो उचित नहीं है. “

राहुल गांधी के हाथरस दौरे पर उन्होंने कहा, “कांग्रेस नेता को दिल्ली आना चाहिए, जहां सिख दंगे हुए थे.”

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