मुजफ्फरपुर, 8 दिसंबर ( ). बिहार के मुजफ्फरपुर में रविवार को ‘राज्य विद्यालय रसोइया संघ’ का चौथा जिला सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस सम्मेलन में 13 प्रखंडों से आए रसोइया शामिल हुए.
भाकपा (माले) केंद्रीय कमेटी सदस्य और ‘बिहार राज्य विद्यालय रसोइया संघ’ की राज्य महासचिव सरोज चौबे ने कहा कि केंद्र और बिहार की सरकार पूंजीपतियों के पक्ष में काम करते हुए सार्वजनिक संपत्ति बेच रही है और निजीकरण को बढ़ावा दे रही है.
उन्होंने कहा कि आज आम आदमी महंगाई से त्रस्त है. हिंदू-मुसलमानों के बीच खाई पैदा की जा रही है और मजदूर वर्ग को आपस में बांटा जा रहा है. रसोइयों और स्कीम वर्करों से मामूली पैसे पर काम करवाया जा रहा है.
उन्होंने इसके लिए संगठित होकर संघर्ष करने की अपील करते हुए कहा कि रसोइयों को कम पैसा मिलता है, उसके बाद भी यह पैसा समय पर नहीं मिलता है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महिला सशक्तीकरण की बात करते हैं. लेकिन, गरीब महिलाओं की नहीं सुनते.
ऐक्टू के जिला सचिव मनोज कुमार यादव ने संघर्ष की घोषणा करते हुए कहा कि जो सरकार रसोइया और मजदूरों के लिए काम नहीं कर रही है, उस सरकार के खिलाफ हम लड़ेंगे और रसोइयों को सरकारी कर्मी का दर्जा और उचित मानदेय दिलाएंगे.
रसोइया संघ के जिला सचिव परशुराम पाठक ने भरोसा जताया कि सभी प्रखंडों में रसोइयों का संगठन बनाते हुए लड़ाई को बुलंदी पर ले जाएंगे.
ऐपवा नेता रानी प्रसाद ने कहा कि सरकार महिला सशक्तीकरण का केवल नारा दे रही है. लेकिन, उनसे कम पैसों पर काम लेकर उन्हें हकीकत में कमजोर बना रही है. रसोइयों को समय पर मानदेय नहीं मिलता और छह महीने का मानदेय बकाया है.
सम्मेलन में 31 सदस्यों की जिला कमेटी चुनी गई. इसमें लीला देवी को अध्यक्ष और परशुराम पाठक को सचिव चुना गया. सम्मेलन के बाद हरी सभा चौक स्थित माले पार्टी कार्यालय से सरोज चौबे के नेतृत्व में एक जुलूस निकाला गया.
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एमएनपी/एबीएम