आईजीयू अध्यक्ष ने राजनाथ सिंह, सेना प्रमुख को सैन्य अधिकारियों की खेल राजनीति में भागीदारी को लेकर लिखी चिट्ठी

नई दिल्ली, 7 दिसंबर . भारतीय सेना अपने अनुशासन, समर्पण और देश की सेवा में अभूतपूर्व योगदान के लिए प्रसिद्ध है. हर संघर्ष में भारत का साथ देने वाली सेना का इतिहास गर्व से भरा हुआ है, और यह देश के लिए एक आदर्श उदाहरण है. हालांकि, हाल के दिनों में एक चिंता उभरी है, जिसमें वरिष्ठ कार्यरत अधिकारियों की अपनी प्राथमिक सैन्य जिम्मेदारियों के अलावा अन्य गतिविधियों में भागीदारी, विशेष रूप से खेल राजनीति में, बढ़ी है.

यह मुद्दा तब उठकर सामने आया जब भारतीय गोल्फ संघ (आईजीयू) के आगामी चुनावों के संदर्भ में यह जानकारी सामने आई कि छह कार्यरत सैन्य अधिकारी विभिन्न पदों के लिए चुनाव लड़ रहे हैं. यह अधिकारी राज्य संघों के माध्यम से चुनाव लड़ रहे हैं, जिनसे उनका कोई सीधा संबंध नहीं है. सैन्य अधिकारियों के चुनाव के स्थापित दिशा-निर्देशों के पालन को लेकर सवाल उठ रहे हैं.

भारतीय गोल्फ संघ के अध्यक्ष ब्रिजिंदर सिंह ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, खेल मंत्री मनसुख मंडाविया और सेना प्रमुख अनिल चौहान को एक कड़े पत्र में इस विषय पर गंभीर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में अधिकारियों की भागीदारी से उनकी सैन्य जिम्मेदारियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.उन्होंने कहा, “राष्ट्र की सेवा और सैनिकों का नेतृत्व करने की मुख्य जिम्मेदारी के लिए इन अधिकारियों का पूरा ध्यान जरूरी है. खेल प्रशासन की ओर ध्यान भटकाने से उनकी क्षमता पर असर पड़ सकता है.”

सिंह ने यह भी बताया कि खेल के विकास में अधिकारी अपनी सैन्य प्रतिबद्धताओं के कारण पूरी तरह से समय और ऊर्जा नहीं दे पाएंगे. यह खेल के विकास और प्रबंधन के लिए नकारात्मक परिणाम ला सकता है.

इसके अतिरिक्त, उन्होंने विदेशी प्रतिनिधियों और अंतरराष्ट्रीय खेल संगठनों के साथ सैन्य अधिकारियों के जुड़ने पर भी चिंता जताई. सैन्य अधिकारियों को आरएंडए और अंतरराष्ट्रीय गोल्फ महासंघ जैसे संस्थाओं के साथ बातचीत करने में प्रतिबंधित किया गया है, जिससे उनके खेल प्रशासन में प्रभावी भूमिका निभाने की संभावना कम हो सकती है.

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि किसी भी कार्यरत सरकारी अधिकारी को राष्ट्रीय खेल संघ के चुनावों में भाग लेने के लिए ‘नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट’ (एनओसी) की आवश्यकता होती है. यह अस्पष्ट है कि इन अधिकारियों के लिए ऐसे एनओसी जारी किए गए हैं या नहीं और क्या इन्हें सेना प्रमुख या किसी सक्षम अधिकारी द्वारा स्वीकृत किया गया है, जो इन चुनावों की वैधता पर सवाल खड़ा करता है.

आईजीयू के अध्यक्ष ने कहा, “यह महत्वपूर्ण है कि भारतीय सशस्त्र बलों और उन संगठनों की पवित्रता बनाए रखी जाए, जिनका ये अधिकारी प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं. अधिकारियों की जिम्मेदारियों और भारतीय सेना की प्रतिष्ठा से कोई समझौता नहीं होना चाहिए.”

उन्होंने कहा, “संबंधित अधिकारियों से अनुरोध है कि वे उचित कार्रवाई करें, यह सुनिश्चित करने के लिए कि वरिष्ठ सैन्य अधिकारी गैर-सैन्य गतिविधियों में शामिल होने से बचें, जो उनकी जिम्मेदारियों और भारतीय सेना की प्रतिष्ठा को प्रभावित कर सकती हैं.”

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