नई दिल्ली, 6 दिसंबर . सरकार द्वारा फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम लागू करने से 31 अक्टूबर तक 2.89 लाख से ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं. यह जानकारी सरकार द्वारा शुक्रवार को दी गई.
केंद्रीय फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया कि स्कीम का लाभ उठाने वाली कंपनियों द्वारा पीएलआई के तहत पूरे देश में 213 स्थानों पर 8,910 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है.
फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के लिए पीएलआई (पीएलआईएसएफपीआई) स्कीम को मार्च, 2021 में केंद्रीय कैबिनेट ने 10,900 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ मंजूरी दी थी. यह योजना 2021-22 से लेकर 2026-27 तक के लिए लागू की गई है.
मंत्रालय ने बताया कि योजना के तहत लगभग 171 आवेदकों को नामांकित किया गया है. पीएलआईएसएफपीआई के तहत लाभार्थी चयन प्रक्रिया वन-टाइम एक्साइज के रूप में आयोजित की गई थी. पक्षकारों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए इस योजना का व्यापक प्रचार किया गया था.
मंत्रालय ने कहा कि इस योजना के तहत घरेलू स्तर पर उगे कृषि उत्पादों (एडिटिव्स, फ्लेवर्स और खाद्य तेलों को छोड़कर) का उपयोग मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस में करना अनिवार्य किया गया था. इससे स्थानीय कच्चे माल की मांग बढ़ेगी और इसका फायदा विकाशील और ग्रामीण इलाकों को मिलेगा और किसानों की आय में इजाफा होगा.
मंत्रालय ने जोर देते हुए कहा, “इसके अलावा प्रोसेस्ड फूड के लिए कच्चे माल के स्थानीय उत्पादन पर जोर ने अतिरिक्त गैर-कृषि रोजगार के अवसर पैदा किए हैं, इससे ग्रामीण क्षेत्रों के आर्थिक विकास को सहारा मिल रहा है.”
इस योजना ने घरेलू मैन्युफैक्चरिंग, मूल्य संवर्धन और कच्चे माल के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देकर और रोजगार के अवसर पैदा करके देश की समग्र वृद्धि और विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.
इस योजना के तहत लाभार्थियों को विदेश में ब्रांडिंग और मार्केटिंग पर उनके खर्च का 50 प्रतिशत प्रतिपूर्ति की जाती है, जो उनकी वार्षिक खाद्य उत्पाद बिक्री का 3 प्रतिशत या प्रति वर्ष 50 करोड़ रुपये, जो भी कम हो, तक सीमित है.
इस स्कीम में क्वालीफाई करने के लिए आवेदकों को पांच वर्षों में न्यूनतम 5 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे. मंत्रालय के अनुसार, वर्तमान में पीएलआई योजना के इस घटक के तहत 73 लाभार्थी हैं.
–
एबीएस/