लखनऊ, 4 दिसंबर . उत्तर प्रदेश के संभल जाने के लिए निकले कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को प्रदेश पुलिस ने दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर ही रोक लिया और उन्हें वापस भेज दिया. वे दिल्ली-यूपी सीमा के गाजीपुर बॉर्डर पर सुबह 10:40 बजे पहुंचे थे और करीब दो घंटे तक वहां रुके रहे. इस दौरान राहुल और प्रियंका ने पुलिस अधिकारियों से कई बार बातचीत की, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला. इसकी यूपी कांग्रेस विधायक दल की नेता प्रियंका मिश्रा ‘मोना’ ने कड़े शब्दों में निंदा की.
उन्होंने से बात करते हुए कहा, “राहुल गांधी जो विपक्ष के नेता हैं और एक संवैधानिक पद पर हैं, उत्तर प्रदेश से सांसद हैं, उनके गृह प्रदेश में उन्हें सीमा पर रोकना, यह पूरी तरह से निंदनीय है. क्या यह 154 धारा का हवाला देकर किया गया है? उत्तर प्रदेश में यह नहीं लागू है. भारतीय जनता पार्टी की सरकार राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधियों को रोककर किस बात को छिपाना चाहती है? कौन सा सच है, जिसका डर है कि अगर हम वहां जाएंगे तो वह सामने आ जाएगा? यह पूरी तरह से अराजकता और सरकार की गुंडागर्दी है, जो पुलिस के माध्यम से लोगों को रोकने का प्रयास कर रही है. राहुल गांधी को आज रोका गया, लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि वह संभल जरूर जाएंगे.”
उन्होंने आगे कहा, “राहुल गांधी ने कहा है कि अगर प्रशासन अनुमति देता है तो वह अकेले भी जा सकते हैं. सरकार को तो बस यह करना चाहिए कि जिन परिवारों के पांच सदस्य मारे गए हैं, उनसे संवेदना व्यक्त करने का मौका दिया जाए. सरकार को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए. प्रशासन जितनी अनुमति देगा, उतने लोग जा सकते हैं, लेकिन हमें जाने दिया जाए.”
उन्होंने किसान आंदोलन पर कहा, “किसान धरती के भगवान हैं. वह अपनी मांगों को लेकर लगातार आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन उन्हें रोक दिया जाता है. पिछले तीन सालों से किसान यूपी के बॉर्डर पर दिल्ली पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उन्हें जबरदस्ती रोका जा रहा है. यह बेहद दुखद है कि हम उन अन्नदाताओं को आतंकवादी की श्रेणी में खड़ा कर रहे हैं. उन पर पुलिस लाठियां बरसा देती है. यह तानाशाही है. सरकार को किसानों की बातें सुननी चाहिए. यह सिर्फ एक व्यक्ति की बात नहीं है, बल्कि यह पूरे किसानों की समस्याएं हैं. सरकार को किसानों की बात सुननी चाहिए, उनके मुद्दों का समाधान निकालना चाहिए और उन्हें शांति से अपनी बात रखने का मौका देना चाहिए.”
उन्होंने कहा, “कृषि मंत्री और प्रधानमंत्री को किसानों से संवाद करना चाहिए. संवाद से बड़ी-बड़ी समस्याओं का हल निकलता है. किसानों से बात करने में क्या दिक्कत है? प्रधानमंत्री दुनिया भर में घूमते हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश के किसानों से मिलने के लिए वह क्यों नहीं जाते? वह उनसे बात करने के लिए क्यों तैयार नहीं हैं? क्यों न वह किसानों के प्रतिनिधियों से बात करें? यह संवादहीनता किसानों के लिए नुकसानदेह है और यह उचित नहीं है.”
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पीएसएम/एबीएम