प्रयागराज, 30 नवंबर . आस्था की नगरी प्रयागराज में महाकुंभ 2025 की तैयारियां जोरों पर हैं. यहां तमाम अखाड़ों से जुड़े साधु-संतों का डेरा लगना प्रारंभ हो गया है. शुक्रवार को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने अगले साल 26 जनवरी को होने वाली धर्म संसद के बारे में जानकारी दी. उन्होंने यह भी बताया कि ऐसी मीटिंग की जाएगी जिसकी आवाज दिल्ली तक पहुंचे. इसमें सनातन धर्म बोर्ड बनाने की मांग जोर-शोर से उठाई जाएगी.
महंत रवींद्र पुरी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “हमारा प्रयास है कि इस धर्म संसद से निकलने वाली आवाज सीधे दिल्ली तक पहुंचे. इसमें हमारे सभी संत महात्मा, अखाड़ों के पदाधिकारी और महामंडलेश्वर शामिल होंगे. सभी के पास अपनी-अपनी समस्याएं हैं. इन समस्याओं पर बातचीत की जाएगी, और इसके बाद हम एक निर्णय लिया जाएगा. इसके बाद हम इसे प्रस्तावित करेंगे और पारित करेंगे. हमारी सरकार से कोई विशेष मांग नहीं है, क्योंकि संत कभी कुछ नहीं मांगते. संत परमार्थी होते हैं, उनका जीवन समाज के लिए होता है. संत हमेशा समाज के कार्यकर्ता होते हैं. जितने भी मंदिर-मठ हैं, वे हमारे नहीं, समाज के हैं, और जो भी आय होती है, वह समाज के कार्यों पर खर्च होती है.”
उन्होंने कहा, “हमारा प्रयास यह है कि समाज में कभी ऐसा न हो, जैसा बड़े तालाबों में छोटी मछलियों के साथ होता है, जहां बड़ी मछलियां छोटी मछलियों को खा जाती हैं. हमारे संतों का मानना है कि आने वाले समय में ऐसा नहीं होना चाहिए. धर्म संसद में निर्णय लिया जाएगा कि सनातन बोर्ड में जितने भी पदाधिकारी होंगे, वे मतवाले होंगे, जिनके पास मंदिर हैं, ताकि हर किसी की बात सुनी जाए और किसी का शोषण न हो. आप देख सकते हैं कि आजकल वक्फ बोर्ड में जमीनों पर कब्जा और शोषण हो रहा है, लेकिन हमारे सनातन बोर्ड में ऐसा नहीं होगा. इसमें सभी कार्य साफ-सुथरे होंगे, ताकि कोई भी महात्मा, चाहे वह छोटा हो या बड़ा, शोषित न हो और सभी को समर्थन मिले. हमारा उद्देश्य यह है कि सभी के हित में कार्य किया जाए. 26 जनवरी को हम इस बोर्ड का गठन करेंगे, लेकिन अभी इसका ऐलान करना उचित नहीं है क्योंकि यह बहुत बड़ा निर्णय है. हमें इसके बारे में बहुत सोच-समझकर निर्णय लेना होगा. 26 जनवरी को धर्म संसद आयोजित की जाएगी, जिसमें सभी की बातें सुनी जाएंगी, और इस पर वार्ता होगी, जिसके बाद उचित निर्णय लिया जाएगा.”
आनंद अखाड़े के आचार्य बालकानंद गिरी ने सनातन धर्म बोर्ड की मांग करते हुए कहा, “हमारे मठ और मंदिरों पर आजकल दूसरे धर्म के लोग अपना आधिपत्य जताकर उन पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं, खासकर हमारे प्राचीन मठ और शक्ति पीठों पर. इसी कारण, यह जरूरी हो गया है कि हमारे मठ और मंदिर सुरक्षित रहें और उनका संचालन विधिपूर्वक हो. इस स्थिति को देखते हुए, आज सनातन बोर्ड की आवश्यकता महसूस हो रही है. इसलिए, मैंने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि वह सनातन बोर्ड की घोषणा करें, जिसमें सभी अखाड़ों के पदाधिकारी और आचार्य महामंडलेश्वर शामिल हों. इस बोर्ड का संविधान इस तरह से तैयार किया जाए कि आगे चलकर कोई भी व्यक्ति इसका दुरुपयोग न कर सके.”
निरंजनी अखाड़े की आनंदमयी पुरी ने कहा, “महात्मा का जीवन संन्यास का होता है. उसे किसी से ज्यादा मतलब नहीं होता है. इसलिए सनातन धर्म की जमीन वक्फ बोर्ड वाले कब्जा कर रहे हैं. इसलिए आज हमें सनातन धर्म बोर्ड के गठन की मांग करनी पड़ी. उन कब्जों को छुड़ाकर हमारे बच्चे भगवान के दर्शन कर सकें और उन्हें कोई दिक्कत न हो, इसलिए सनातन धर्म बोर्ड की जरूरत महसूस की गई है.”
–
पीएसएम/एकेजे