मुरादाबाद, 29 नवंबर . उत्तर प्रदेश के संभल में मस्जिद के सर्वे को लेकर हुई हिंसा के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि इस मामले में निचली अदालत कोई कार्रवाई न करे. इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि बिना उच्च न्यायालय के आदेश के इस मामले में किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हुए पूर्व सपा सांसद एस.टी. हसन ने कहा, “संभल में हुई हिंसा और निचली अदालत द्वारा लिए गए फैसलों के कारण यह मामला संदेहास्पद लगता है. पांच घंटे के भीतर याचिका दाखिल की गई, फैसला आ गया, आयोग गठित हुआ और सर्वे भी कर लिया गया. इतनी जल्दी किसलिए? बिना मुस्लिम पक्ष को सुने, यह सब प्रक्रिया पूरी की गई, जो जाहिर तौर पर शक पैदा करती है कि कहीं कुछ गलत हो रहा है.”
उन्होंने कहा, “अब सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि निचली अदालत इस मामले में कोई कार्रवाई न करे. हाई कोर्ट को निर्देश दिया गया है कि तीन दिन के भीतर मुस्लिम पक्ष की सुनवाई हो और फिर निर्णय ले. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि जो रिपोर्ट आई है, उसे सील बंद लिफाफे में रखा जाए और सार्वजनिक न किया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी अफसोस जताया कि जो काम सरकार को करना चाहिए था, वह आज सुप्रीम कोर्ट कर रहा है, और सरकार से यह कहा कि शांति और व्यवस्था बनाए रखे.”
सपा नेता ने सवाल किया कि यह जिम्मेदारी किसकी है? सुप्रीम कोर्ट इस पूरे मामले की निगरानी कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने 8 जनवरी तक का समय दिया है और उस दिन वह इस मामले की स्थिति का पुनः आकलन करेगा. हम मुख्य न्यायधीश और सुप्रीम कोर्ट के प्रति धन्यवाद व्यक्त करते हैं कि उन्होंने देश की शांति, भाईचारे और गंगा-जमुनी तहजीब को बचा लिया. आज के दौर में जब कुछ लोग समाज में अमन और शांति को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, सुप्रीम कोर्ट ने सही समय पर हस्तक्षेप किया है.
पूर्व सांसद ने कहा, “जहां तक मस्जिदों और दरगाहों का सवाल है, ‘प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट’ के तहत इनकी कोई भी संरचना नहीं बदली जा सकती. चाहे सर्वे में जो भी परिणाम आए, ये संरचनाएं नहीं बदल सकतीं. लोग परेशान न हों, उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है. लेकिन जब सर्वे से कोई फायदा नहीं होने वाला, तो माहौल क्यों बिगाड़ा जा रहा है?”
उन्होंने कहा, “मैं मानता हूं कि इस पूरे मामले की जांच होनी चाहिए, इन तथाकथित “अमन के लुटेरों” की, जो देश में हिंसा फैलाने की कोशिश कर रहे हैं. हमें यह जानने की जरूरत है कि इनका रिमोट किसके हाथ में है? ये लोग हिंदुस्तान को कमजोर क्यों करना चाहते हैं? कौन सी बाहरी ताकतें इनको नियंत्रित कर रही हैं? इनकी भी सीबीआई जांच होनी चाहिए, और साथ ही संभल हिंसा मामले की भी सीबीआई जांच होनी चाहिए. अगर इस मामले में कोई पक्ष जीतता है, तो देश के विकास में कोई फर्क नहीं पड़ेगा. यदि सर्वे में यह पाया जाता है कि यहां पहले कोई मंदिर था, तो क्या मस्जिद को गिराया जा सकता है? क्या यह संभव है, जबकि कानून मौजूद है, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट का सम्मान है? यह सिर्फ शांति और भाईचारे को नष्ट करने का एक प्रयास है, और कुछ नहीं.”
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पीएसएम/एकेजे