खून करता है साफ, कब्जियत होगी बीते दिनों की बात, करामाती बथुआ के फायदे तमाम

नई दिल्ली, 29 नवंबर . हमारी प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में पेट को अग्नि कहा जाता है. अग्नि मजबूत और संतुलित होने पर डाइजेशन बेहतर रहता है. इसी अग्नि का सर्दियों में खास ख्याल रखता है बथुआ. करामाती पत्तेदार सब्जी की श्रेणी में आता है.

चने, मेथी, पालक के साथ बथुआ भी कई बीमारियों के इलाज में सहायक होता है. सर्दियों में इस साग की डिमांड बढ़ जाती है. बढ़े भी क्यों न गुणों का खजाना जो है! खासियत ये कि जैसे चाहें इसे वैसे अपने खान-पान में शामिल करें. रायता बनाएं, पराठे या फिर पसंदीदा दाल में डालकर खाएं.

न्यूट्रिशनिस्ट अंशी राज महाजन कहती हैं जान कर हैरान रह जाएंगे कि इसके 100 ग्राम साग में 4 ग्राम प्रोटीन, 7 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 0.8 ग्राम फैट होता है.

विटामिन, खनिज, प्रोटीन, फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट,ओमेगा-3 फैटी एसिड और पानी मौजूद होता है जो शरीर में पानी की कमी नहीं होने देते.

सर्दियों में खाली पेट न रहने की सलाह आयुर्वेद देता है. अक्सर देखा जाता है कि लोग ठंड में खूब खाते हैं और फिर शिकायत भी करते हैं कि वजन बढ़ गया. तो बथुआ इस चिंता से मुक्ति दिलाता है. फाइबर वजन घटाने में मदद करता है. पेट को भरता है और ज्यादा खाने की इच्छा को भी कंट्रोल करता है. इसका सर्दी में सेवन करने से वजन नियंत्रित रहता है.

फाइबर से भरपूर होता है जो आंतों में जमा गंदगी भी साफ होती है. पानी की मात्रा ज्यादा होती है जो बॉडी को हाइड्रेट और पाचन को भी दुरुस्त रखता है. भरपूर फाइबर और पानी कब्ज, पेट फूलने और अन्य पाचन से जुड़ी परेशानियां को दूर करता है.

न्यूट्रिशनिस्ट महाजन कहती हैं गुणों का खजाना यूं ही नहीं कहते इन गुणों से भरपूर पत्तेदार साग में कैल्शियम और फास्फोरस भी प्रचुर होता हैं जो हड्डियों को मजबूत बनाते हैं. इसका सेवन करने से हड्डियों में और जोड़ों में दर्द से मुक्ति मिलती है. लिवर की सेहत का भी ख्याल रखता है और अगर रोज इसका 100 एमएल जूस पिया जाए तो लिवर हेल्दी और अगर एक महीने तक लगातार सेवन किया तो हीमोग्लोबिन भी बढ़ता है.

गुणों की खान है बथुआ. कई लोग तो इसे सागों का राजा भी कहते हैं. राजा जो अपनी प्रजा का खास ख्याल रखता है. उसकी तकलीफ को कम करने का काम करता है.

केआर/