मधुबनी, 28 नवंबर . बिहार की राजधानी पटना हो या फिर देश की राजधानी दिल्ली, समय-समय पर अलग मिथिला राज्य की मांग के लिए वहां आंदोलन किया गया है. बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री और राजद नेता राबड़ी देवी ने एक बार फिर अलग मिथिला राज्य की मांग की है. मिथिलांचल के लोगों ने इसका समर्थन किया है.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के दिन मैथिली भाषा में अनुवादित संविधान की प्रतियां जारी कीं. इसके बाद राबड़ी देवी ने अलग मिथिला राज्य की मांग कर डाली. बिहार के मधुबनी में रहने वाले कुछ लोगों ने से बातचीत में मामले में अपनी राय रखी.
एक स्थानीय ने कहा है कि मिथिला राज्य की मांग वर्षों से चली आ रही है. राबड़ी देवी के कार्यकाल में मिथिला राज्य की मांग उठी थी. लेकिन, जब तक हम मिथिला के लोग एकजुट नहीं होंगे यह मांग पूरी नहीं होगी. मिथिला से भारी संख्या में पलायन हो रहा है. धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से यह ऐतिहासिक जगह है. मिथिला राज्य बनेगा तो हमारे यहां के युवा दूसरे शहरों की ओर नहीं जाएंगे. हम लोग अपने भाग्य का फैसला खुद कर लेंगे.
एक अन्य शख्स ने कहा कि मिथिला राज्य की मांग से कुछ नहीं होने वाला है. राज्य छोटा रहे या बड़ा इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है. विकास का कार्य होना चाहिए. पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल के दौरान 16 सरकारी चीनी मिलें बंद हो चुकी हैं. मौजूदा सरकार ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया. अगर मिथिला राज्य होगा तो फिर से बिहार का विभाजन होगा. इसमें फिर खर्चा होगा. इन पैसों से विकास कार्य कराए जा सकते हैं. मिथिलांचल इलाका बाढ़ ग्रस्त है. केंद्र सरकार और राज्य सरकार को विशेष तौर पर मिथिलांचल पर ध्यान देना चाहिए.
मधुबनी के लोगों में मिथिला राज्य को लेकर मिलीजुली प्रतिक्रिया मिली है. कुछ लोग ऐसे हैं जो मिथिला राज्य चाहते हैं. वहीं, कुछ लोग विकास पर जोर दे रहे हैं.
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डीकेएम/एकेजे