बेंगलुरु, 28 नवंबर . लगभग 98 प्रतिशत भारतीय बिजनेस लीडर अगले 12 महीनों में सस्टेनेबिलिटी के लिए आईटी में निवेश बढ़ाने की योजना बना रहे हैं. देश एआई-संचालित सस्टेनेबिलिटी पहलों में आगे बना हुआ है. यह जानकारी गुरुवार को आई एक रिपोर्ट में दी गई.
आईबीएम की ‘स्टेट ऑफ सस्टेनेबिलिटी रेडीनेस रिपोर्ट’ के अनुसार, अधिकांश भारतीय पार्टिसिपेंट्स ने आईटी में निवेश को न केवल पर्यावरणीय जिम्मेदारी के लिए बल्कि दीर्घकालिक व्यावसायिक लचीलापन (61 प्रतिशत) और ब्रांड प्रतिष्ठा (64 प्रतिशत) को बढ़ावा देने के लिए भी महत्वपूर्ण माना है.
आईबीएम इंडिया, दक्षिण एशिया के प्रबंध निदेशक संदीप पटेल ने कहा, “जैसे-जैसे सस्टेनेबिलिटी बिजनेस विकास रणनीतियों का केंद्र बनती जा रही है, एआई जिम्मेदारी के साथ विकास को आगे बढ़ाने में एक गेम-चेंजर साबित हो रहा है.”
पटेल ने कहा, “भारत एआई-संचालित सस्टेनेबिलिटी में सबसे आगे बना हुआ है. देश भर के बिजनेस लीडर सस्टेनेबिलिटी को परिवर्तन के लिए के लिए बेहद अहम मानते हैं और आईबीएम अपने सस्टेनेबिलिटी लक्ष्यों को गति देने में मदद करने के लिए एआई सॉल्यूशन को आगे बढ़ा रहा है.”
96 प्रतिशत भारतीयों का मानना है कि एआई उनके सस्टेनेबिलिटी लक्ष्यों को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है.
अधिकांश बिजनेस लीडर पहले से ही एआई का लाभ उठा रहे हैं, 64 प्रतिशत भारतीय कंपनियां अपने सस्टेनेबिलिटी प्रयासों में सक्रिय रूप से एआई का उपयोग कर रही हैं.
रिपोर्ट में भारतीय कंपनियों के लिए पानी के उपयोग को भी शीर्ष चुनौतियों में से एक के रूप में उजागर किया गया है.
भारतीय कंपनियों में आईटी सस्टेनेबिलिटी निवेश को लेकर ब्रांड प्रतिष्ठा लीडिंग ड्राइवर है, जबकि दीर्घकालिक व्यावसायिक लचीलापन इसके बाद आता है.
81 प्रतिशत भारतीय लीडर जलवायु लचीलापन के लिए एक सक्रिय दृष्टिकोण अपनाते हैं, 54 प्रतिशत अवसर-संचालित सस्टेनेबिलिटी निवेश को लागू करते हैं.
इसके अलावा, 79 प्रतिशत भारतीय लीडर डेटा के जरिए सस्टेनेबिलिटी लक्ष्यों को ट्रैक करने के लिए मैच्योर सिस्टम को अपनाते हैं.
रिपोर्ट ने बिजनेस लीडर और संगठनों को एआई टूल्स में निवेश करने का सुझाव दिया जो उनके लिए सही हैं.
जनरेटिव एआई कार्बन उत्सर्जन को कम करने के अवसरों की पहचान करने और अधिक सस्टेनेबल बिजनेस प्रैक्टिस के लिए एल्गोरिदम बनाने में मदद कर सकता है.
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एसकेटी/एबीएम