बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रही हिंसा पर ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ की जुबान क्यों नहीं खुलती : गिरिराज सिंह

नई दिल्ली, 28 नवंबर . केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हो रही हिंसा और इस्कॉन से जुड़े संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर संयुक्त राष्ट्र संघ से संज्ञान लेने की अपील की है. उन्होंने संभल हिंसा का आरोप ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ पर लगाया.

गिरिराज सिंह ने से कहा, “बांग्लादेश में जो घटनाएं हो रही हैं, वह मानवता पर एक गहरा आघात हैं. पाकिस्तान में भी इसी तरह की घटनाएं हुई थीं, और यहां के ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ की जुबान बांग्लादेश पर क्यों नहीं खुलती? आज बांग्लादेश में हमारी हिंदू बहनों के साथ अत्याचार हो रहा है, मंदिरों को तोड़ा जा रहा है, हत्याएं की जा रही हैं. भारत सरकार ने और वहां के दूतावास ने इस पर पत्र लिखा है, लेकिन यह घटना समाज पर एक बड़ा आघात है. अब समय आ गया है कि संयुक्त राष्ट्र को इस पर कड़ा एक्शन लेना चाहिए. जिस ढंग से मानवता और अल्पसंख्यकों पर प्रहार हुआ है, इस पर उन्हें संज्ञान लेना चाहिए.”

उन्होंने संभल हिंसा पर कहा, “ये ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ वाले लोग यह सब कर रहे हैं. अब राहुल गांधी इस हिंसा पर क्यों नहीं बोलते. अगर सरकार मना भी करे, तो वे कभी नियमों का पालन नहीं करते. इन लोगों का मकसद सिर्फ भारत में आग लगाना है, लोगों को आपस में लड़ाना है, दंगे कराना है. वे लोग लड़े आपस में, गोलियां आपस में चलाईं, अब दोष पदाधिकारियों को दे रहे हैं. अब सवाल यह है कि गोलियां चली क्यों? लोग कैसे इकट्ठा हुए? ये सारे मुद्दे महत्वपूर्ण हैं. राहुल गांधी और अखिलेश यादव को इस पर भी अपनी जुबान खोलनी चाहिए.”

उल्लेखनीय है कि पुलिस ने संभल हिंसा में शामिल उपद्रवियों की पहचान के लिए 45 लोगों के पोस्टर जारी किए हैं. उनके फोटो सीसीटीवी फुटेज से लिए गए हैं. इन तस्वीरों में भीड़ को उकसाने वाले लोगों के साथ पुलिस और सर्वे की टीम पर पत्थर बरसाने वाले लोग दिख रहे हैं. पुलिस ने बहुत से उपद्रवियों का नाम और पता भी सार्वजनिक कर दिया है.

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि उपद्रव के दौरान हुई क्षति की भरपाई भी इन्हीं उपद्रवियों से कराई जाएगी. सीसीटीवी की इन तस्वीरों में उपद्रवी मुंह पर कपड़ा बांधे अपने हाथों में पत्थर लिए नजर आ रहे हैं. कुछ पुलिस टीम और सर्वे के लिए गई टीम पर दनादन पत्थर बरसाते भी दिख रहे हैं.

पीएसएम/एकेजे