भाजपा ईवीएम (एनर्जी, विकास और मेहनत) से जीती, कांग्रेस राहुल विकार मैनेजमेंट यानी ‘आरवीएम’ से हार रही है : संबित पात्रा

नई दिल्ली, 27 नवंबर . भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने बुधवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में विपक्षी पार्टी कांग्रेस द्वारा ईवीएम हटाकर बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग को लेकर तीखा पलटवार किया. साथ ही उन्होंने झारखंड में कांग्रेस गठबंधन की जीत को भी ईवीएम से जोड़ते हुए कहा कि अगर ईवीएम में गड़बड़ी थी तो झारखंड में जेएमएम की जीत कैसे हुई. इसके अलावा उन्होंने 2017 में चुनाव आयोग के द्वारा ईवीएम को हैक करने के लिए जो हैकाथॉन रखी थी, उसका भी जिक्र किया.

उन्होंने कहा, “मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि मुझे ईवीएम नहीं चाहिए. उन्हें ईडी, सीबीआई, इलेक्शन कमीशन और भारत सरकार नहीं चाहिए. मुझे लगता है कि उन्हें यह सब नहीं चाहिए तो उनके लिए सर्वोत्तम जगह मंगल ग्रह है. मंगल ग्रह पर जाएं और अपने शहजादे को कुर्सी पर बिठाएं. उन्होंने हाल ही में कहा कि एससी-एसटी और गरीबों के जो वोट हैं वह ईवीएम के कारण खराब हो गए. मल्लिकार्जुन खड़गे क्या सोचते हैं. वह क्या कहना चाहते हैं कि क्या जो एससी-एसटी, ओबीसी के लोग हैं उन्हें वोट करना नहीं आता? वह लोग इतने अनपढ़ हैं. उनलोगों की इतनी भी समझ नहीं है कि वह लोग यह जानें कि ईवीएम का इस्तेमाल कैसे करना है. यह एससी-एसटी, ओबीसी समाज का बहुत बड़ा अपमान है.”

उन्होंने कहा, “कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि हम किसी भी कीमत पर बैलेट पेपर लेकर आएंगे. ईवीएम को पीएम मोदी और अमित शाह के घर पर रख दो. हम कह रहे हैं कि पीएम मोदी के घर ईवीएम है. ‘ई’ से एनर्जी, ‘वी’ से विकास और ‘एम’ से मेहनत होता है. आप ‘आरवीएम’ से हार रहे हैं. आरवीएम का अर्थ राहुल विकार मैनेजमेंट है. इसका साफ मतलब है कि खराबी मशीन में नहीं है. खराबी कांग्रेस के मैनेजमेंट में है. खराबी ईवीएम में नहीं, खराबी राहुल गांधी में है.”

उन्होंने कहा, “मल्लिकार्जुन खड़गे ने हाल ही में कहा था कि वह बैलेट पेपर के लिए यात्रा निकालेंगे, और वह “भारत जोड़ो यात्रा” के बाद “ईवीएम छोड़ो यात्रा” निकालने की बात कर रहे हैं. ठीक है, उन्हें यात्रा निकालने का अधिकार है क्योंकि कांग्रेस पार्टी के पास शायद समय ही समय है और वह कुछ न कुछ करते रहना चाहती है. यह अच्छी बात है कि वह यात्रा निकालने का विचार कर रहे हैं, लेकिन अगर हम गंभीरता से सोचें तो खड़गे ने कहा था कि ईवीएम हटानी चाहिए और बैलेट पेपर लाना चाहिए, सुप्रीम कोर्ट में यह मुद्दा सुनवाई में है. इस सुनवाई में याचिकाकर्ता ने कहा कि ईवीएम में धांधली होती है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि ईवीएम में कोई खराबी नहीं है. अदालत ने यह भी कहा कि जो उम्मीदवार हारता है, वह ईवीएम पर सवाल उठाता है और जो जीतता है, उसे ईवीएम सही लगती है. यह सब “अंगूर खट्टे” वाली स्थिति जैसी है. मुझे लगता है कि यह कांग्रेस पार्टी के लिए ही बिल्कुल फिट बैठता है. मल्लिकार्जुन खड़गे भी वही कह रहे हैं कि ईवीएम में खराबी है, जबकि सुप्रीम कोर्ट इसका उल्टा कह रहा है.”

उन्होंने आगे कहा, “इसके अलावा, 2017 में चुनाव आयोग ने ईवीएम हैक करने के लिए हैकाथॉन आयोजित किया था. चुनाव आयोग ने सभी को आमंत्रित किया था कि वह आएं और ईवीएम को हैक करके दिखाएं, लेकिन, उस वक्त कोई भी ईवीएम को हैक करने नहीं आया. कांग्रेस पार्टी उस समय क्या कर रही थी? शायद राहुल गांधी जी विदेश यात्रा पर गए होंगे. यह सचमुच आश्चर्य की बात है कि कांग्रेस ने उस हैकाथॉन को गंभीरता से नहीं लिया और अब वही पार्टी कह रही है कि ईवीएम में गड़बड़ी है.”

उन्होंने कहा, “साल 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में नतीजे कांग्रेस के पक्ष में थे और उस समय भाजपा विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. तब किसी ने ईवीएम पर सवाल नहीं उठाया था, लेकिन अब जब कांग्रेस हारती है, तो वे ईवीएम को दोष देने लगते हैं. मुझे यह भी हैरानी होती है कि कांग्रेस यह कह रही है कि झारखंड में जेएमएम की जीत भी खराब ईवीएम के कारण हुई. क्या वह यह कहना चाहते हैं कि झारखंड में कांग्रेस की जीत भी खराब ईवीएम से हुई थी? अगर वे ऐसा कहते हैं, तो यह हेमंत सोरेन और उनकी पार्टी का अपमान है. मैं बार-बार यही कहता हूं कि ईवीएम में कोई खराबी नहीं है, बल्कि खराबी व्यक्ति या पार्टी में होती है.”

पीएसएम/जीकेटी