तेहरान, 25 नवंबर : ईरान 29 नवंबर को तीन यूरोपीय देशों- जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन- के साथ अपने परमाणु कार्यक्रम के बारे में बातचीत करेगा. समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता एस्माईल बाघेई ने रविवार को मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में यह जानकारी दी.
बाघेई ने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह की बातचीत ‘गरिमा और विवेक’ पर आधारित होना चाहिए.
ईरानी प्रवक्ता ने कहा कि आगामी वार्ता के दौरान परमाणु मुद्दे के अलावा फिलीस्तीन और लेबनान सहित अनेक क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की जाएगी.
ईरान ने 2015 में विश्व शक्तियों के साथ परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसे औपचारिक रूप से ज्वाइंट कॉम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन (जेसीपीओए) के रूप में जाना जाता है. जेसीपीओए को ईरान परमाणु समझौता या ईरान डील के नाम से भी जाना जाता है. इसके तहत प्रतिबंधों में राहत और अन्य प्रावधानों के बदले में ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने पर राजी हुआ था.
इस समझौते को 14 जुलाई 2015 को वियना में ईरान, पी5+1 (संयुक्त राष्ट्र के पांच स्थायी सदस्य- चीन, फ्रांस, रूस, यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका- प्लस जर्मनी) और यूरोपीय संघ के बीच अंतिम रूप दिया गया.
अमेरिका ने 2018 में समझौते से खुद को अलग कर लिया और ‘अधिकतम दबाव’ की नीति के तहत प्रतिबंध लगा दिए. प्रतिबंध ईरान के साथ व्यापार करने वाले सभी देशों और कंपनियों पर लागू हुए और इन्होंने तेहरान को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली से अलग कर दिया, जिससे परमाणु समझौते के आर्थिक प्रावधान शून्य हो गए.
जेसीपीओए को फिर से लागू करने के लिए बातचीत अप्रैल 2021 में ऑस्ट्रिया के वियना में शुरू हुई. कई राउंड की वार्ता के बावजूद, अगस्त 2022 में अंतिम दौर की वार्ता के बाद से कोई महत्वपूर्ण कामयाबी हासिल नहीं हुई है.
गुरुवार को, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने ईरान के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें तेहरान को एजेंसी के साथ तत्काल सहयोग बेहतर करने का आदेश दिया.
ईरान ने शुक्रवार को आईएईए बोर्ड के ‘अनुचित’ प्रस्ताव के जवाब में ‘पर्याप्त’ संख्या में नए ‘उन्नत’ सेंट्रीफ्यूज को सक्रिय करने की घोषणा की.
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