रांची, 24 नवंबर . झारखंड में छठी विधानसभा की तस्वीर सामने आ चुकी है और यह पांचवीं विधानसभा से कई मायनों में अलग है. इस बार विधानसभा में सदस्यों की संख्या 82 से घटकर 81 रह गई है.
पुरानी व्यवस्था में 81 विधायक विभिन्न क्षेत्रों से चुनकर आते थे, जबकि एंग्लो इंडियन समुदाय का एक विधायक राज्यपाल की ओर से मनोनीत किया जाता था. अब मनोनयन के जरिए एंग्लो इंडियन समुदाय को प्रतिनिधित्व देने की व्यवस्था समाप्त कर दी गई है. पांचवीं विधानसभा के 82 विधायकों में से 40 इस बार सदन में नहीं दिखेंगे. 42 विधायक फिर से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचने में कामयाब रहे हैं. 29 विधायकों को इस बार हार का सामना करना पड़ा है, जबकि 4 विधायक इसी साल हुए लोकसभा का चुनाव जीतकर सांसद बन चुके हैं. 6 विधायक इस बार चुनाव मैदान में नहीं उतरे थे.
चुनाव हारने की वजह से जो विधायक इस बार सदन में नहीं पहुंच पाए हैं, उनमें अनंत ओझा (राजमहल), नारायण दास (देवघर), अमित मंडल (गोड्डा), लोबिन हेंब्रम (बोरियो), बादल (जरमुंडी), रणधीर सिंह (सारठ), विनोद सिंह (बगोदर), केदार हाजरा (जमुआ), बेबी देवी (डुमरी), लंबोदर महतो (गोमिया), बिरंची नारायण (बोकारो), अमर बाउरी (चंदनकियारी), अपर्णा सेन गुप्ता (निरसा), पूर्णिमा नीरज सिंह (झरिया), बन्ना गुप्ता (जमशेदपुर पश्चिम), कमलेश कुमार सिंह (हुसैनाबाद), सुदेश महतो (सिल्ली), कोचे मुंडा (तोरपा), बैद्यनाथ राम (लातेहार), रामचंद्र चंद्रवंशी (विश्रामपुर), मिथिलेश कुमार ठाकुर (गढ़वा), भानु प्रताप शाही (भवनाथपुर), पुष्पा देवी (छतरपुर), नीलकंठ सिंह मुंडा (खूंटी), जयप्रकाश भाई पटेल (मांडू), सुनीता चौधरी (रामगढ़), अंबा प्रसाद (बड़कागांव) और उमाशंकर अकेला (बरही) शामिल हैं.
इनके अलावा जामा इलाके से 2019 में विधायक चुनी गईं सीता मुर्मू सोरेन इस बार क्षेत्र बदलकर जामताड़ा से चुनाव लड़ रही थीं, उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा है. पाकुड़ सीट से पिछला चुनाव जीतने वाले आलमगीर आलम मनी ल़ॉन्ड्रिंग के केस में जेल में बंद हैं और इस बार वह चुनाव मैदान में नहीं थे. हालांकि कांग्रेस ने उनकी जगह उनकी पत्नी निशात आलम को उम्मीदवार बनाया, जो चुनाव जीतकर सदन में पहुंचने में कामयाब रही हैं. चतरा के विधायक सत्यानंद भोक्ता, सिमरिया के किशुन दास, सिंदरी के इंद्रजीत महतो, लिट्टीपाड़ा के दिनेश विलियम मरांडी और कांके के समरी लाल भी पार्टी का टिकट न मिलने या अन्य वजहों से इस बार में मैदान में नहीं उतर पाए.
सदन में इस बार फिर से पहुंचने वाले विधायकों में हेमंत सोरेन (बरहेट), इरफान अंसारी (जामताड़ा), हफीजुल हसन (मधुपुर), स्टीफन मरांडी (महेशपुर), रवींद्रनाथ महतो (नाला), बसंत सोरेन (दुमका), प्रदीप यादव (पोड़ैयाहाट), दीपिका पांडेय सिंह (महगामा), नीरा यादव (कोडरमा), अमित कुमार यादव (बरकट्ठा), बाबूलाल मरांडी (धनवार), कल्पना सोरेन (गांडेय), सुदिव्य कुमार सोनू (गिरिडीह), कुमार जयमंगल सिंह (बेरमो), राज सिन्हा (धनबाद), मथुरा महतो (टुंडी), समीर कुमार मोहंती (बहरागोड़ा), रामदास सोरेन (घाटशिला), संजीव सरदार (पोटका), मंगल कालिंदी (जुगसलाई), सरयू राय (जमशेदपुर पश्चिमी), सबिता महतो (ईचागढ़), चंपई सोरेन (सरायकेला), दीपक बिरुआ (चाईबासा), निरल पूरती (मझगांव), सोनाराम सिंकू ( जगन्नाथपुर), आलोक कुमार चौरसिया (डाल्टनगंज), रामचंद्र सिंह (मनिका), भूषण बाड़ा (सिमडेगा), जिग्गा सुसारण होरो (सिसई), नवीन जायसवाल (हटिया), विकास कुमार मुंडा (तमाड़), सुखराम उरांव (चक्रधरपुर), राजेश कच्छप (खिजरी), भूषण तिर्की (गुमला), नमन विक्सल कोंगाड़ी (कोलेबिरा), कुशवाहा शशिभूषण मेहता (पांकी), रामेशवर उरांव (लोहरदगा), चमरा लिंडा (बिशुनपुर), शिल्पी नेहा तिर्की (मांडर), सीपी सिंह (रांची) और दशरथ गगराई (खरसावां) शामिल हैं.
इस चुनाव में पहली बार विधायक चुने गए वालों की संख्या 19 है. इनमें मो. ताजुद्दीन (राजमहल), निशात आलम (पाकुड़), आलोक कुमार सोरेन (शिकारीपाड़ा), धनंजय सोरेन (बोरियो), रोशनलाल चौधरी (बड़कागांव), निर्मल महतो (मांडू), प्रदीप प्रसाद (हजारीबाग), कुमार उज्जवल दास (सिमरिया), मंजू कुमारी (जमुआ), जयराम कुमार महतो (डुमरी), श्वेता सिंह (बोकारो), चंद्रदेव महतो (सिंदरी), रागिनी सिंह (झरिया), शत्रुघ्न महतो (बाघमारा), पूर्णिमा साहू (जमशेदपुर पूर्वी), जगत माझी (मनोहरपुर), सुदीप गुड़िया (तोरपा), रामसूर्य सिंह मुंडा (खूंटी), सुरेश बैठा(कांके) और नरेश प्रसाद सिंह (विश्रामपुर) शामिल हैं.
इनके अलावा 17 ऐसे नेता सदन में पहुंचे हैं, जो पांचवीं विधानसभा के सदस्य नहीं थे, लेकिन इसके पहले विधायक रह चुके हैं. इनमें सत्येंद्र नाथ तिवारी (गढ़वा), अनंत प्रताप देव (भवनाथपुर), लुईस मरांडी (जामा), सुरेश पासवान (देवघर), संजय प्रसाद यादव (गोड्डा), उदय शंकर सिंह (सारठ), देवेंद्र कुंवर (जरमुंडी), हेमलाल मुर्मू (लिट्टीपाड़ा), राधाकृष्ण किशोर (छतरपुर), मनोज कुमार यादव (बरही), ममता देवी (रामगढ़), जनार्दन पासवान (चतरा), नागेंद्र महतो (बगोदर), योगेंद्र प्रसाद (गोमिया), उमाकांत रजक (चंदनकियारी), अरूप चटर्जी (निरसा) और प्रकाश राम (लातेहार) शामिल हैं.
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एसएनसी/