नई दिल्ली, 24 नवंबर . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात के 116वें एपिसोड में निस्वार्थ भाव से समाज के लिए काम कर रहे युवाओं की सराहना की. पीएम मोदी ने बताया कि ऐसे कई युवा समूह बनाकर लोगों की छोटी-छोटी समस्याओं का समाधान निकालने में जुटे हैं.
पीएम मोदी ने मन की बात में कहा, “ऐसे कितने ही युवा हैं जो लोगों की समस्याओं का समाधान निकालने में जुटे हैं. हम अपने आस-पास देखें तो बहुत से लोगों ऐसे हैं, जिन्हें किसी ना किसी तरह की मदद चाहिए, कोई जानकारी चाहिए. मुझे ये जानकर अच्छा लगा कि कुछ युवाओं ने समूह बनाकर इस तरह की बात के समाधान पर ध्यान दिया है.”
पीएम मोदी ने लखनऊ के रहने वाले वीरेंद्र का उदाहरण दिया जो बुजुर्गों को डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट के काम में मदद करते हैं. पीएम मोदी ने कहा, “आप जानते हैं कि नियमों के मुताबिक सभी पेशनरों को साल में एक बार लाइफ सर्टिफिकेट जमा कराना होता है. 2014 तक इसकी प्रक्रिया यह थी इसे बैंकों में जाकर बुजुर्ग को खुद जमा करना पड़ता था. आप कल्पना कर सकते हैं कि इससे हमारे बुजुर्गों को कितनी असुविधा होती थी. अब ये व्यवस्था बदल चुकी है. अब डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट देने से चीजें बहुत ही सरल हो गई हैं, बुजुर्गों को बैंक नहीं जाना पड़ता.”
पीएम मोदी ने आगे कहा, “बुजुर्गों को तकनीक की वजह से कोई दिक्कत ना आए, इसमें, वीरेंद्र जैसे युवाओं की बड़ी भूमिका है. वह अपने क्षेत्र के बुजुर्गों को इसके बारे में जागरूक करते रहते हैं. इतना ही नहीं वह बुजुर्गों को टेक सेवी भी बना रहे हैं. ऐसे ही प्रयासों से आज डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट पाने वालों की संख्या 80 लाख के आंकड़े को पार कर गई है. इनमें से दो लाख से ज्यादा ऐसे बुजुर्ग हैं, जिनकी आयु 80 के भी पार हो गई है.”
पीएम मोदी ने कहा कि साथियो, कई शहरों में ‘युवा’ बुजुर्गों को डिजिटल क्रांति में भागीदार बनाने के लिए भी आगे आ रहे हैं. भोपाल के महेश ने अपने मोहल्ले के कई बुजुर्गों को मोबाइल के माध्यम से पेमेंट करना सिखाया है. इन बुजुर्गों के पास स्मार्ट फोन तो था, लेकिन, उसका सही उपयोग बताने वाला कोई नहीं था. बुजुर्गों को डिटिटल अरेस्ट के खतरे से बचाने के लिए भी युवा आगे आए हैं.
पीएम मोदी ने आगे बताया, “ऐसे ही अहमदाबाद के राजीव, लोगों को डिटिटल अरेस्ट के खतरे से आगाह करते हैं. मैंने ‘मन की बात’ के पिछले एपिसोड में डिटिटल अरेस्ट की चर्चा की थी. इस तरह के अपराध के सबसे ज्यादा शिकार बुजुर्ग ही बनते हैं. ऐसे में हमारा दायित्व है कि हम उन्हें जागरूक बनाएं और साइबर फ्रॉड से बचने में मदद करें. हमें बार-बार लोगों को समझाना होगा कि डिटिटल अरेस्ट नाम का सरकार में कोई भी प्रावधान नहीं है. ये सरासर झूठ, लोगों को फंसाने का एक षड्यंत्र है. मुझे खुशी है कि हमारे युवा साथी इस काम में पूरी संवेदनशीलता से हिस्सा ले रहे हैं और दूसरों को भी प्रेरित कर रहे हैं.”
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