नई दिल्ली, 22 नवंबर . टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल खाने की बर्बादी को रोकने और कम करने में किया जा सकता है, जो कि भारत की फूड सर्विस इंडस्ट्री के लिए एक बड़ी चुनौती है. इसी के साथ सस्टेनेबल प्रैक्टिस को भी बढ़ावा दिया जा सकता है.
खाने की बर्बादी से रेस्तरां का मुनाफा कम हो सकता है और पर्यावरण संबंधी चिंताएं भी बढ़ सकती हैं, जबकि दुनिया भर में लाखों लोग कुपोषण से पीड़ित हैं.
डेटा और एनालिटिक्स कंपनी ग्लोबलडेटा के प्रमुख उपभोक्ता विश्लेषक पार्थसारधी रेड्डी बोक्काला ने कहा कि ग्राहकों की मांग का सटीक अनुमान लगाना अपने आप में एक चुनौती है, इस वजह से रेस्तरां अतिरिक्त खाना तैयार करते हैं और अंत में यह बर्बाद हो जाता है.
बोक्काला ने कहा, “छोटे और मध्यम आकार के रेस्तरां के पास अक्सर सीमित संसाधन और अनुभव होते हैं, जिससे उनके लिए विक्रेताओं से बातचीत करना या ऐसी गुणवत्तापूर्ण सेवाएं ढूंढना मुश्किल हो जाता है जो बर्बादी को कम करने में सहायता कर सकें.”
रिपोर्ट में खाने की बर्बादी की समस्या से निपटने के लिए टेक्नोलॉजी को शामिल करने की आवश्यकता का सुझाव दिया गया है.
इसमें कहा गया है कि टेक्नोलॉजी को अपनाने से खरीद की योजना बनाने और बर्बादी को कम करने में मदद कर परिचालन को सुव्यवस्थित करने में मदद मिलेगी.
रिपोर्ट में जोमैटो की नई पहल “फ़ूड रेस्क्यू” का हवाला दिया गया है, जो कुछ हद तक रेस्तरां को भोजन की बर्बादी की चुनौती से निपटने में मदद करेगी.
रिपोर्ट में कहा गया है कि खाने की बर्बादी को कम करने में मदद करने वाली एक और विशेषता स्विगी और जोमैटो दोनों पर नया ऑर्डर शेड्यूलिंग फीचर है. यह सुविधा ग्राहकों को पहले से भोजन ऑर्डर करने और समय पर प्राप्त करने में काम आती है.
इस बीच, यह रेस्तरां को अपनी रसोई को बेहतर ढंग से प्लान करने और बर्बादी से बचने में मदद करेगी.
रेड्डी ने कहा कि जहां बड़ी रेस्तरां श्रृंखलाएं अपने संचालन को सुव्यवस्थित करने के लिए तकनीकी समाधानों का उपयोग कर सकती हैं, वहीं छोटे व्यवसाय वित्तीय बाधाओं के कारण ऐसा नहीं कर सकते.
रेड्डी ने कहा, “ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म छोटे व्यवसायों को टेक्नोलॉजी में निवेश करने के लिए वित्तीय चुनौतियों से उबरने में मदद करेगा.”
उन्होंने कहा कि हालांकि ये टेक्नोलॉजी इनोवेशन अभी नए हैं, लेकिन इनमें फूड सर्विस बिजनेस में अपशिष्ट प्रबंधन को बदलने की क्षमता है.
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एसकेटी/एएस