भारत के इंश्योरटेक सेक्टर ने 5 वर्षों में 12 गुना राजस्व वृद्धि की हासिल

मुंबई, 20 नवंबर . भारत के इंश्योरटेक सेक्टर ने पिछले 5 वर्षों में 12 गुना राजस्व वृद्धि हासिल की है. बुधवार को आई एक रिपोर्ट के अनुसार, सेक्टर की क्यूमलेटिव फंडिंग 2.5 बिलियन डॉलर से अधिक है और इकोसिस्टम वैल्यूएशन 13.6 बिलियन डॉलर से अधिक रहा.

बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) द्वारा इंडिया इंश्योरटेक एसोसिएशन (आईआईए) के सहयोग से तैयार की गई रिपोर्ट के अनुसार, देश में 150 से अधिक इंश्योरटेक कंपनियां हैं, जिनमें 10 यूनिकॉर्न और सूनिकॉर्न और 45 से अधिक मिनीकॉर्न हैं, जिनका राजस्व पिछले पांच वर्षों में 12 गुना बढ़कर 750 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया है.

बीसीजी में लीड-इंडिया इंश्योरेंस प्रैक्टिस की प्रबंध निदेशक और भागीदार पल्लवी मालानी ने कहा, “अधिकतर इंश्योरटेक वैल्यू चेन के एग्रीगेशन और डिस्ट्रिब्यूशन चरणों में मौजूद हैं, जिनका फंडिंग में 80 प्रतिशत से अधिक योगदान है. बीमा कंपनियों के लिए अंडरराइटिंग और क्लेम में डेटा और टेक्नोलॉजी का लाभ उठाने का पर्याप्त अवसर है, जो बीमा उद्योग के निरंतर विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.”

हालांकि भारत ने महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन पैठ बढ़ाना अभी भी प्राथमिकता बनी हुई है, खासकर स्वास्थ्य बीमा में, जहां 45 प्रतिशत चिकित्सा व्यय अभी भी जेब से किया जाता है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि लक्ष्य सभी नागरिकों के लिए 100 प्रतिशत कवरेज प्राप्त करना और जेब से चिकित्सा व्यय को 10 प्रतिशत से कम करना है.

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बीमा बाजार बनने का लक्ष्य रखता है, जिसमें वैश्विक शीर्ष 50 में 10 से अधिक कंपनियां और बड़े पैमाने पर 100 से अधिक बीमा कंपनियां संचालित होंगी.

बीसीजी में प्रबंध निदेशक और भागीदार विवेक मंधाता ने कहा, “क्योंकि भारत एक विकसित अर्थव्यवस्था बनने की आकांक्षा रखता है, इसलिए उच्च पहुंच, बढ़ी हुई जागरूकता और विश्वास, बढ़े हुए सामर्थ्य को लेकर अवसर बने हुए हैं .”

जैसे-जैसे इंश्योरटेक विकसित हो रहा है, 75 प्रतिशत से अधिक इंश्योरटेक प्रॉफिटेबल ऑपरेटिंग मॉडल बनाने को प्राथमिकता दे रहे हैं. इसके अलावा, दो-तिहाई से अधिक रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा दे रहे हैं और नए भौगोलिक क्षेत्रों में विस्तार कर रहे हैं.

इंडिया इंश्योरटेक एसोसिएशन के सह-संस्थापक सुभाजीत मंडल ने कहा, “विकसित हो रहा इंश्योरटेक स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि सहयोग केवल एक विकल्प नहीं है, बल्कि 2047 के लिए विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक रणनीतिक अनिवार्यता है.”

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