मनीषा कायंदे ने की अनिल देशमुख हमले की जांच की मांग, साजि‍श की जताई आशंका

मुंबई, 19 नवंबर . शिवसेना शिंदे गुट की नेता मनीषा कायंदे ने मंगलवार को से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने सपा नेता अबू आजमी और मुफ्ती सलमान अजहरी के बीच हुई मुलाकात और महाराष्‍ट्र के पूर्व गृह मंत्री और एनसीपी (शरद पवार) के नेता अनिल देशमुख पर हुए हमले पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की.

मनीषा कायंदे ने अनिल देशमुख पर हमले के मामले को लेकर कहा कि इस घटना की निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए. उनके अनुसार, यह घटना चुनावी माहौल में अप्रिय और संदिग्ध है, और यह जानना जरूरी है कि इसके पीछे किसका हाथ है.

उन्होंने कहा कि एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें अनिल देशमुख ने बताया था कि उन पर हमला हुआ था. निश्चित रूप से इस मामले की जांच होनी चाहिए. चुनाव के समय इस प्रकार की घटनाएं नहीं होनी चाहिए. अगर इस हमले के पीछे कोई राजनीतिक साजिश है, तो यह और भी गंभीर मामला है. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि इस हमले के पीछे किसी राजनीतिक दल या गुट का हाथ तो नहीं है.

उन्होंने इस घटना से जुड़े वीडियो और सीसीटीवी फुटेज की जांच की भी मांग की. उन्होंने कहा कि अगर यह पथराव था, तो जो लोग वीडियो में दिखाई दे रहे हैं, उन्हें हिरासत में लिया जाना चाहिए. हमें यह देखना होगा कि क्या इसके पीछे उनके ही लोगों की कोई साजिश तो नहीं है.

मुस्लिम संगठनों द्वारा महा विकास आघाडी (एमवीए) को वोट देने के लिए जारी किए गए फतवे पर भी उन्होंने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की. कायंदे ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है और चुनाव आयोग को इस पर त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए. मुस्लिम संगठनों ने फतवा जारी किया है कि महा विकास आघाडी को वोट दिया जाए. यह चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश हो सकती है और इसके पीछे किसी साजिश का हाथ हो सकता है. इस प्रकार का फतवा किसी भी हालत में देश के लिए ठीक नहीं है.

उन्होंने उद्धव ठाकरे से सवाल करते हुए कहा कि उन्हें इस पर जवाब देना होगा. वह हिंदुत्व का दावा करते हैं, लेकिन जब वह कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं, तो उन्हें यह स्पष्ट करना चाहिए कि वे इन फतवों और मुस्लिम संगठनों की मांगों के बारे में क्या सोचते हैं. उन्होंने कहा कि इस तरह के फतवे के पीछे हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण की साजिश हो सकती है, जिसे किसी भी हालत में सहन नहीं किया जा सकता.

उन्होंने कहा कि यह वोट जिहाद की एक नई साजिश हो सकती है, जिसका उद्देश्य हिंदू-मुस्लिम के बीच फूट डालना है. हम सभी को इस पर गंभीरता से ध्यान देना होगा. चुनाव आयोग और गृह मंत्रालय को इस पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि चुनावी माहौल शांतिपूर्ण और निष्पक्ष बना रहे. अगर इस प्रकार की घटनाएं चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए जानबूझकर की जा रही हैं, तो यह देश के लोकतंत्र के लिए खतरनाक हो सकती हैं. हमारा देश धर्मनिरपेक्ष है और अगर कोई इसे तोड़ने की कोशिश करता है, तो यह केवल देश के लिए ही नहीं, बल्कि समाज के लिए भी हानिकारक होगा.

मनीषा कायंदे ने आरएसएस पर लगाए गए आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह पूरी तरह से गलत है. आरएसएस एक देशभक्त संगठन है और यह हमेशा देश की भलाई के लिए काम करता है. कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने हमेशा आरएसएस को निशाना बनाया है, लेकिन यह संगठन कभी भी किसी को भड़काने या असामाजिक गतिविधियों में लिप्त नहीं हुआ. कांग्रेस ने हमेशा आरएसएस को निशाना बनाने की कोशिश की है, लेकिन यह देश की एकता और अखंडता के लिए काम करता है. यही वजह है कि कांग्रेस की सभी कोशिशें नाकाम रही हैं.

उन्होंने आगे कहा कि महा विकास आघाडी को इस बात का जवाब देना चाहिए कि क्या वह मुस्लिम उलेमा बोर्ड द्वारा रखी गई 17 मांगों को स्वीकार करते हैं, जिनमें से एक यह भी है कि आरएसएस पर बैन लगाया जाए. यह 17 मांगें सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि राष्ट्र की सुरक्षा को भी खतरे में डालने वाली हैं. अगर महा विकास आघाडी इस पर सहमत है, तो यह भारतीय लोकतंत्र के लिए एक खतरनाक कदम होगा.

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