चेन्नई, 18 नवंबर . भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास की ओर से किए गए एक शोध में यह बात सामने आई है कि ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव लेने वाली महिलाएं अगर हैवी वर्कआउट (जिसमें उनकी बड़ी मसल्स एक्टिवेट होती हैं) करती है तो उनके ब्लड प्रेशर कोई बदलाव नहीं आता.
महिलाएं गर्भावस्था को रोकने के लिए ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स का सहारा लेती है. हालांकि कुछ ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स के बारे में कहा गया है कि वह आराम करने के दौरान रक्तचाप बढ़ाने के लिए जाने जाते हैं, लेकिन कड़ी शारीरिक गतिविधियों के दौरान रक्तचाप पर इन दवाओं के प्रभाव के बारे में अभी तक पूरी तरह से जानकारी नहीं है.
इसके अलावा, इस बात पर शोध अस्पष्ट रहा है कि मासिक धर्म चक्र के दौरान हार्मोनल उतार-चढ़ाव रक्तचाप को प्रभावित करते हैं या नहीं.
मिनेसोटा विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया है कि 20 से 25 वर्ष की युवा महिलाओं में ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव के सेवन और अंडाशय से निकलने वाले हार्मोन (जैसे एस्ट्रोजन) के सामान्य स्तर में उतार-चढ़ाव का रक्तचाप पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है.
शोध के नतीजे निचले शरीर के व्यायाम और स्केलेटल मांसपेशियों के संवेदनशील न्यूरॉन्स के सक्रियण के साथ भी समान थे, जो हृदय रोगियों में रक्तचाप की अत्यधिक प्रतिक्रिया में योगदान करने के लिए जाने जाते हैं.
आईआईटी मद्रास के जैव प्रौद्योगिकी विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. निनिथा ए.जे. ने कहा, “इस अध्ययन के निष्कर्ष व्यापक रूप से उपयोगी हैं और यह इसलिए बेहद ही महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव दवा लेने वाली महिलाओं में वर्कआउट के दौरान ब्लड प्रेशर के प्रभाव पर बात करता है.”
उल्लेखनीय है कि वर्कआउट के दौरान बीपी बढ़ सकता है, जिसे ‘एक्सरसाइज प्रेसर रिफ्लेक्स’ कहा जाता है. हालांकि शोधकर्ताओं ने दर्शाया कि मासिक धर्म चक्र के चरण या ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव के उपयोग की परवाह किए बिना महिलाओं में ‘एक्सरसाइज प्रेसर रिफ्लेक्स’ समान था.
अमेरिकन जर्नल ऑफ फिजियोलॉजी-रेगुलेटरी, इंटीग्रेटिव एंड कम्पेरेटिव फिजियोलॉजी में प्रकाशित निष्कर्षों से पता चलता है कि ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव महिलाओं में रक्तचाप की प्रतिक्रिया को उन लोगों की तुलना में अधिक नहीं बढ़ाते हैं जो ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव का उपयोग नहीं करते हैं.
मिनेसोटा विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर डॉ. मांडा केलर रॉस ने कहा, “इस काम का अगला चरण यह निर्धारित करना है कि क्या ईपीआर रजोनिवृत्त महिलाओं में हृदय संबंधी जोखिम में योगदान करने वाला कारक है.”
–
एमकेएस/एएस