दिग्गज फिल्ममेकर श्याम बेनेगल ने खुद को बताया ‘आलसी’, बोले मैं इसी किस्म का हूं

मुंबई, 17 नवंबर . दिग्गज निर्देशक श्याम बेनेगल को फिल्में वो पसंद हैं जिनका कॉन्सेप्ट शानदार हो. उन्होंने एक साक्षात्कार में जिंदगी के कई राज खोले. ये भी कि वो आलसी हैं!

‘वेल डन अब्बा’ निर्देशक श्याम बेनेगल ने यूट्यूबर समदीश भाटिया के साथ बातचीत की और अपनी पसंदीदा फिल्मों पर चर्चा की. बातचीत के दौरान उन्होंने स्पष्ट किया कि इन फिल्मों की कहानी और कलाकार कमाल के थे.

समदीश ने श्याम बेनेगल से पूछा, “आपकी अपनी पसंदीदा तीन भारतीय फिल्में कौन सी हैं? तो निर्देशक ने जवाब दिया मुझे लगता है ‘औरत’ उनमें से एक थी. जरूरी नहीं कि फिल्मों की गुणवत्ता हो. लेकिन फिल्म का विषयवस्तु कमाल का था. ‘रोटी’ नाम की एक फिल्म भी ऐसी ही फिल्म थी. उन्होंने आगे कहा ‘संत तुकाराम’ कमाल की फिल्म है!

‘संत तुकाराम’ के बारे में बात करते हुए उन्होंने आगे कहा “विष्णुपंत पगनेश फिल्म में वह व्यक्ति है, जिसने संत तुकाराम की भूमिका निभाई. उनके भावगीत बेहतरीन थे. उन्होंने गीतों को फिल्म में काफी खूबसूरती से प्रस्तुत किया.”

वहीं जब उनसे पूछा गया कि क्या वो बिग बॉस देखते हैं तो बड़ी खूबसूरती से इसे अपने आलसपन की नजर कर दिया. बोले नहीं मैं बहुत आलसी किस्म का हूं.

श्याम बेनेगल को 1970 के दशक के बाद के सबसे शानदार फिल्म निर्माताओं में से एक माना जाता है. कमाल के काम के लिए उन्हें 18 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और एक नंदी पुरस्कार सहित कई पुरस्कार मिल चुके हैं. 2005 में बेनेगल को सिनेमा में योगदान देने के लिए भारत के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

1976 में उन्हें भारत सरकार द्वारा देश के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म श्री से और 1991 में कला के क्षेत्र में तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया.

बेनेगल ने फिल्म इंडस्ट्री को यर्थाथवादी सिनेमा के लिए ख्याति प्राप्त है. उन्होंने ‘अंकुर’ फिल्म बनाई जो कि तेलंगाना में आर्थिक और यौन शोषण पर आधारित थी.

‘अंकुर’ के लिए निर्देशक को 1975 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजा गया था. वहीं, शबाना आजमी ने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता था. श्याम बेनेगल ने ‘हरी भरी’, ‘जुबैदा’, ‘वेल डन अब्बा’, ‘चरणदास चोर’, ‘भूमिका’ जैसी फिल्मों का निर्माण किया.

एमटी/केआर